Thursday, November 28, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. गुरु गोविंद जयंती: जब मात्र 9 साल की उम्र में अपने पिता को दिया बलिदान होने की प्रेरणा

गुरु गोविंद जयंती: जब मात्र 9 साल की उम्र में अपने पिता को दिया बलिदान होने की प्रेरणा

ब तेग बहादुर असम की यात्रा में गए थे। उससे पहले ही होने वाले बच्चे का नाम गुरु गोविंद सिंह रख दिया गया था। जिसके कारण उन्हे बचपन में गोविंद राय कहा जाता था। जानिए कैसे इन्होनें दी अपने पिता को बलिदान होने की प्रेरणा...

India TV Lifestyle Desk
Updated : January 04, 2017 16:42 IST
sikh- India TV Hindi
sikh

धर्म डेस्क: सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु माने जाने वाले गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती 5 जनवरी, गुरुवार को है। गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के नवें गुरु तेगबहादुर के पुत्र थे। गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में हुआ था। उस समय तेगबहादुर असम में थे। जब वह वहगां से वापस लौटकर आए तो गुरु गोविंद सिंह 4 साल के हो चुके थे।

ये भी पढ़े-

कहा जाता है कि जब तेग बहादुर असम की यात्रा में गए थे। उससे पहले ही होने वाले बच्चे का नाम गुरु गोविंद सिंह रख दिया गया था। जिसके कारण उन्हे बचपन में गोविंद राय कहा जाता था। गुरु गोविंद बचपन से ही अपनी उम्र के बच्चों से बिल्कुल अलग थे। जब उनके साथी खिलौने से खेलते थे। और गुरु गोविंद सिंह तलवार, कटार, धनुष से खेलते थे।

पटना से ही गुकि गोविंद सिंह ने संस्कृत, अरबी और फारसी की शिक्षा प्राप्त की थी। इस समय़ भी पचना के एक गुरद्वारा जो भौणी साहब के नाम से जाना जाता है। वहां पर आपको गुरु गोविंद सिंह के बचपन में पहने हुए खड़ाऊं, कटार, कपड़े और छोटा सा धनुष-बाण रखा हुआ है।

जब गुरु गोविंद सिंह छोटे थे तभी गुरु तेगबहादुर ने उनकी शिक्षा के लिए आनंदपुर में समुचित व्यवस्था की गई थी। जिसके कारण वह थोडे समय में कई भाषाओं में महारत हासिल कर लिया था। संवत् 1731 जब मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचार बढते चले जा रहे थे। वह कश्मीरी पंडितों में घोर अत्याचार कर रहा था। जिसके कारण यह लोग गुरु तेगबहादुर की शरण में आए।

जब उनकी बात सुनकर गुरु तेगबहादुर ने कहा था कि हमारे हिंदु धर्म की रक्षा के लिए किसी महापुरुष की आवश्यकता है। इस बात को सुन कर गुरु गोविंद सिंह ने अपने पिता से कहा कि 'इस संसार में आपसे बड़ा महापुरुष कौन हो सकता है'। जब गुरु गोविंद सिंह ने यह बात की उस समय उनकी उम्र महज 9 साल की थी।

इतिहास में ऐसे बहुत कम उदाहरण मिलेंगे जब किसी बालक ने अपने पिता को ही धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी हो। गुरु तेगबहादुर के शहीद हो जाने पर 3, वैशाख 1733 को गोविंद राय गद्दी पर बैठे। तब तक काफी लोग उन्हें चमत्कारी पुरुष मानने लगे थे।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement