धर्म डेस्क: आज गुप्त नवरात्र के आखिरी दिन कुछ ऐसे ही तंत्र मंत्र प्रयोगों के बारे में आचार्य इंदु प्रकाश बतायेंगे जिन्हें आज के दिन करके आप किसी भी तरह की सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं और अपने कार्यों को मूरत रूप दे सकते हैं। बता दें कि आषाढ़ मास के इन गुप्त नवरात्र के दौरान देवी छिन्नमस्ता की उपासना बड़ी ही फलदायी बतायी गयी है। सर्वसिद्धि को पूर्ण करने वाली माता छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में से एक हैं।
छिन्नमस्तिका का अर्थ होता है बिना मस्तिष्क के। माता छिन्नमस्ता दया और ममता की पराकाष्ठा हैं । इसका उल्लेख मार्कंडेय पुराण व शिव पुराण में भी भली-भांति किया गया है | इनकी आराधना से तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है। अतः आज गुप्त नवरात्र के आखिरी दिन हम देवी छिन्नमस्ता की विशेष उपासना की जाती है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से किस मंत्र का करें जाप।
सबसे पहले आपको मन्त्रमहोदधि में दिये माता के विशेष मंत्र के बारे में बता दूं, जिसके जाप से आप कुछ भी कर सकते हैं। वो मंत्र है- 'ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा'
मन्त्रमहोदधि में देवी छिन्नमस्ता का यह सात अक्षरों का मंत्र बताया गया है। इस मंत्र का पुरश्चरण वैसे तो चार लाख जाप है, लेकिन आज गुप्त नवरात्र की नवमी के दिन अगर आप केवल 1000 मंत्रों का भी जाप करेंगे, तो आपके काम जरूर बनेंगे। लेकिन ध्यान रहे कि इस मंत्र जाप से पहले देवी मां के यंत्र की स्थापना करके उसकी विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके लिये सबसे पहले धातु आदि से बने यंत्र को तांबे के पात्र में रखकर या किसी साफ-सुथरे साधारण पात्र में रखकर उसका घी से अभ्यंग करें, यानी यंत्र को घी से स्नान कराएं। फिर उसके ऊपर दूध की धारा डालें। इसके बाद जल की धारा डालें। फिर साफ कपड़े से यंत्र को पोंछकर मन्दिर में पुष्पों के ऊपर स्थापित करें। इसके बाद विधि-पूर्वक यंत्र की पूजा आदि करें और देवी मां का ध्यान करें। इस प्रकार ध्यान आदि के बाद यंत्र को नमस्कार करें और फिर देवी मां के विशेष मंत्र का जाप करें।
इस प्रकार कम से कम एक हजार बार मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप के बाद मंत्र की सिद्धि के लिये पलाश अथवा बेल के फूलों अथवा फलों से जप का दशांश होम भी करना चाहिए, यानी 1000 मंत्रों के जाप के हिसाब से 100 बार आपको होम करना चाहिए। इसके साथ ही होम के दशांश तर्पण करना चाहिए।