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Gudi Padwa 2018: गुड़ी पाड़वा के दिन इस शुभ मुहूर्त में ऐसे करें पूजा, साथ ही जानें मनाने का कारण

हिंदू पंचाग के अनुसार 18 मार्च, रविवार को साल का शुभारंभ हो रहा है। साथ ही इस दिन से नवरात्र और गुड़ी पाडंवा का त्योहार भी है। जो कि बहुत ही ख़ास है। इन उत्सवों में शुभ योग होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 16, 2018 14:01 IST
Gudi Padwa 2018- India TV Hindi
Gudi Padwa 2018

धर्म डेस्क: हिंदू पंचाग के अनुसार 18 मार्च, रविवार को साल का शुभारंभ हो रहा है। साथ ही इस दिन से नवरात्र और गुड़ी पाडंवा का त्योहार भी है। जो कि बहुत ही ख़ास है। इन उत्सवों में शुभ योग होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। माना जाता है कि गुड़ी पाड़वा के दिन विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ करने से आपको हर साल किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इस बार दोनों व्रत सर्वार्थ सिद्ध योग में बन रहे है। इसके साथ ही मराठी विक्रम संवत की भी शुरुआज होगी।

शुभ मुहूर्त

मार्च 17, 2018: शाम 6 बजकर 43 मिनट से प्रतिपदा आरम्भ जो कि मार्च 18, 2018 को शाम 6 बजकर 33 पर प्रतिपदा समाप्त

  • चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है।
  • यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।
  • यदि सूर्योदय के समय किसी भी दिन प्रतिपदा न हो, तो तो नव-वर्ष उस दिन मनाते हैं जिस दिन प्रतिपदा का आरंभ व अन्त हो।

ऐसे किया जाता है सेलीब्रेट
हिन्दु गुड़ी पड़वा के दिन घर के गेट पर गुड़ी लगाते हैं और घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बंदनवार सजाते हैं। ये बंदनवार घर में सुख-समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है।

पूजा विधि
अगर आप चाहते है कि आपका यह साल शांति और सुख-समृद्धि के साथ बीतें तो इस दिन इस तरह पूजा करें। जिससे हर देवी-देवता की कृपा आप पर बनी रहें। इस दिन ब्रह्म मूहूर्त में उठकर नित्य कामों से निवृत्त होकर अपने शरीर पर बेसन और तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर भगवान ब्रह्मा के मंत्रों का उच्चारण करके पूजा करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।

पूजन का शुभ संकल्प कर एक चौकी या बालू की वेदी का निर्मोण कर उसमें साफ सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की सुवर्णमूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गणेशाम्बिका की पूजा करें और फिर इस मंत्र का जाप करें। ऊं ब्रह्मणे नमः।

अगली स्लाइड में पढ़ें पूरी कथा के बारें में

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