Gudi Padwa 2020: गुड़ी पड़वा मुख्य रुप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला त्योहार है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर नए हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है। जिसके प्रारंभ की खुशी को लेकर ये पर्व मनाया जाता है। हालांकि, इस बार कोरोनावायरस के कारण महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा सेलिब्रेशन रैली को रद्द कर दिया गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने इस साल होने वाली गुड़ी पड़वा सेलिब्रेशन रैली को रद्द कर दिया है। इसकी वजह देश भर में फैल रहा कोरोनावायरस है।
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बता दें कि इस साल गुड़ी पड़वा 25 मार्च 2020, बुधवार को पड़ रही है। इस दिन से नवरात्र प्रांरम्भ होने के साथ-साथ हिंदू धर्म के नववर्ष की शुरुआत भी होगी। हिंदू धर्म में इस पर्व को लेकर खास मान्यताएं हैं। गुड़ी ध्वज यानि झंडे को कहा जाता है और पड़वा, प्रतिपदा तिथि को। मान्यता है के इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस दिन घर में पताका और तोरण लगाने की परंपरा भी है। यहां गुड़ी का अर्थ होता है- विजय पताका। ये व्यक्ति और उसके परिवार की जीत को दर्शाता है।
गुड़ी पड़वा लेकर प्रचलित कथाएं
दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। रामायण काल में बालि का शासन क्षेत्र हुआ करता था। जब भगवान श्रीराम को पता चला कि लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उन्हें रावण से युद्ध करने के लिये एक सेना की आवश्यकता थी। दक्षिण भारत में आने के बाद उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने बालि के कुशासन से उन्हें अवगत करवाते हुए अपनी असमर्थता जाहिर की। तब भगवान श्रीराम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उनसे मुक्त करवाया। मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ही वो दिन था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।
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इसके अलावा शालिवाहन की भी एक प्राचीन कथा प्रचलित है। उन्होंने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है।
वहीं, स्वास्थ्य के नज़रिये से भी इस पर्व का महत्व है। इसी कारण गुड़ी पड़वा के दिन बनाये जाने वाले व्यंजन खास तौर पर स्वास्थ्य वर्धक होते हैं। चाहे वह आंध्र प्रदेश में बांटा जाने वाला प्रसाद पच्चड़ी हो, या फिर महाराष्ट्र में बनाई जाने वाली मीठी रोटी पूरन पोली हो।