कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन के मनुष्य स्वरूप आकृति बनायी जाती है और शाम के समय सोलह उपचारों के साथ उसकी पूजा की जाती है। कुछ जगहों पर पर्वत के समान आकृति बनाकर भी गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस दिन गोवर्धन बनाकर उसे फूल आदि से सजाना चाहिए। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। कहा जाता है कि इसी दिन श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र का अहंकार चकनाचूर किया था।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 5 नवंबर सुबह 2 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।
सुबह का पूजा मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट तक
शाम का मुहूर्त - दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से शाम 5 बजकर 33 मिनट तक
गोवर्धन पूजा विधि
शाम को उचित विधि से धूप-दीप, खील-बताशे से गोवर्धन की पूजा करके, उसके चारों ओर सात परिक्रमा लगानी चाहिए। वैसे तो मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का विधान है। लेकिन जो लोग वहां नहीं जा सकते, वो घर पर ही गोवर्धन की पूजा करके उसकी परिक्रमा कर सकते हैं। इससे वास्तविक गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के समान ही फल मिलता है। इससे जीवन की गति कभी कम नहीं होती और यात्रा सुगम होती है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घरों व मन्दिरों में अन्नकूट के रूप में कढ़ी, चावल, बाजरा और हरी सब्जियां मिलाकर बनाया गया भोजन खाने की और प्रसाद के रूप में बांटने की परंपरा है। कहते हैं इस दिन जो व्यक्ति गोवर्धन के प्रसाद के रूप में ये सब चीज़ें खाता है और दूसरों को भी खिलाता है या दान करता है, उसके घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किया गया दान अक्षय हो जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
अन्नकूट के अलावा इस दिन गौ पूजा का विशेष महत्व है। गायों को दूहा नहीं जाता, बल्कि उनकी सेवा की जाती है। इस दिन गायों के सिंगों पर तेल और गेरू लगाना चाहिए और उनके खुरों को अच्छे से साफ करना चाहिए। ऐसा करने
से गौ माता के आशीर्वाद से आपके ऊपर कभी भी कोई संकट नहीं आयेगा और आपकी तरक्की होगी।
गोवर्धन का वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व
गोवर्धन का यह त्यौहार वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रखता है। ग्रामीण इलाकों में या कच्चे मकानों में लोग इस दिन भी इस दिन गाय के गोबर से अपने घरों को लीपते हैं। दरअसल बारिश के दौरान बहुत से बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और गाय के गोबर में इन बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत होती है, लिहाजा गाय के गोबर से घर को लिपने से सारे बैक्टीरिया या कीटाणु अपने आप मर जाते हैं और किसी प्रकार की बीमारी का खतरा भी नहीं रहता।