गरुड़ पुराण 18 पुराणों में से एक माना जाता है। इस शास्त्र के आचारकांड में नीतिसार अध्याय है। जिसमें एक मनुष्य के जीवन में आने वाली परेशानियां और सुखी जीवन जीने के लिए काफी नीतियां बताई गई हैं। यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु और मृत्यु के बाद के कई रहस्यों के बारे में में विस्तार से बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार शरीर त्यागने के बाद शरीर को कर्मों के अनुसार स्वर्ग या फिर नर्क में जाकर अपने कर्मों का फल प्राप्त करना पड़ता है। इसके साथ ही कर्मों के अनुसार की योनि का भी निर्धारण किया जाता है कि उसे किस योनि में जन्म मिले। इन योनियों में सबसे भयानक प्रेत योनि मानी जाती हैं। ऐसे ही गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे कामों के बारे में बताया गया है जिन्हें अपने जीवन में बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इससे प्रेत योनि में जन्म लेना पड़ सकता हैं।
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श्राद्ध के समय न करें ये गलती
श्रीकृष्ण गरुड़ महाराज को एक कथा सुनाते हुए बताते हैं कि कैसे श्राद्ध में की गई एक गलती प्रेत योनि में डाल सकती हैं। इस कथा में श्रीकृष्ण कहते हैं कि एक व्यक्ति ने श्राद्ध करने के लिए एक ब्राह्मण को आमंत्रित किया। लेकिन ब्राह्मण काफी बूढ़ा था जिसके कारण उसे आने में थोड़ा सा समय लग गया । जिसके कारण व्यक्ति ने उस खाने को पहले ही ग्रहण कर लिया और ब्राह्मण के आने में उन्हें बासी खाना परोस दिया। ऐसे में उस जातक को प्रेत योनि में जन्म लेना पड़ा। इसलिए कहा जाता है कि श्राद्ध करते समय साफ-सफाई के साथ-साथ ब्राह्मणों को शुद्ध और ताजा भोजन करना चाहिए।
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चोरी करना महापाप
श्रीकृष्ण गरुड़ महाराज को एक कथा सुनाते हुए कहते हैं कि एक व्यक्ति था जो राहत चलते लोगों के लूटपाट करता था। एक बार एक ब्राह्नण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ उस रास्ते से निकल रहा था। जिसके बाद उस व्यक्ति से ब्राह्मण दंपति को खूब पीटा और उनसे सारा सामना छिन लिया। इसके बाद जब बच्चे को प्यास लगी तो उसने मां से पानी मांगा। इस पर उस युवक ने उनसे पानी छीन लिया। जिसके कारण प्यास के व्याकुल ब्राह्मण के पुत्र की मौत हो गई। वहीं बेटे की हालत से दुखी होकर ब्राह्मणी से भी कुएं में कूद कर जान दे दी। जिसके कारण उस युवक को प्रेत योनि में जगह मिली। इसलिए कहा जाता है कि कभी भी किसी भी व्यक्ति को चोरी-चकारी के साथ किसी प्यासे व्यक्ति से पानी नहीं छिनना चाहिए।
लालच और छल से रहें कोसों दूर
भगवान श्रीकृष्ण ने गरुड़ राज से कहा कि किसी भी व्यक्ति को लालच और किसी अपने के साथ छल नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें प्रेत योनि मिलती हैं। श्री कृष्ण एक कथा सुनाते हुए वह कहते हैं एक धनवान वैश्य था। व्यवसाय के लिए वह देश-परदेश जाता रहता था। एक बार वह घनिष्ठ मित्र के साथ बिजनेस करने के लिए गया। लेकिन इस बार उसे काफी घाटा हुआ और उसका पूरा धन समाप्त हो गया। लेकिन उसके मित्र के पास काफी धन था। जिसके कारण उस व्यक्ति के मन में लालच छा गया और उसने अपने मित्र को ही नदी में ढकेल दिया। इतना ही नहीं मित्र की पत्नी को बताया कि रास्ते में लुटेरों ने उसे मार कर सबकुछ छीन लिया। पति के वियोग में पत्नी ने भी जान दे दी। मित्र के साथ धोखा और लालच की भावना के चलते वैश्य को प्रेत योनि में जन्म लेना पड़ा।
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बड़ों को न करे अपमान
श्रीकृष्ण कहते हैं कि एक निम्न जाति के व्यक्ति के पास अपार धन था। लेकिन उसका भाई अत्यंत गरीब था। उसके पास खाने तक की भी समस्या होती थी। ऐसे में माता-पिता अपने धनवान बेटे से छिपाकर कुछ धन उस गरीब बेटे को भी दे देते थे। ताकि कम से कम वह दो वक्त की रोटी तो खा सके। एक दिन यह बात उस धनवान बेटे को पता चली। तब उसने अपने माता-पिता को जंजीरों से बांधकर एक सूने कमरे में डाल दिया। बेटे के द्वारा दिए गए कष्ट को माता-पिता सहन नहीं कर पाए और जहर खाकर अपनी जान दे दी। इस बारे में जब छोटे बेटे को पता चला तो वह भी भूख-प्यास से व्याकुल वह दर-दर की ठोकरें खाते-खाते परलोक सिधार गया। इसके बाद उस धनवान बेटे को माता-पिता और भाई के साथ इस व्यवहार के लिए प्रेत योनि में जन्म लेना पड़ा। इसलिए हमेशा कहा जाता कि कभी भी अपने बड़ों और माता-पिता का निरादर न करे।