धर्म डेस्क: 20 मार्च को बहुत ही धूमधाम के साथ गणगौर तीज मनाई जाएगी। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इन्हें ईसर-गौर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है (ईश्वर-गौरी)। यह कुंवारी और नवविवाहित स्त्रियों का त्योहार है। जानिए पूजा विधि के बारें में।
राजस्थान का है लोकपर्व
यह पर्व पूरे 10 दिन तक चलता है। यह मुख्यरुप से राजस्थान का लोकपर्व है, लेकिन इस कई और राज्य लोग के बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते है। वहीं राजस्थान में माना जाता है कि विवाह के बाद पहला गणगौर तीज रखना जरुरी होती है। इसमें चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन होलिका दहन की भस्म और तालाब की मिट्टी से ईसर-गौर (शंकर-पार्वती) की प्रतिमाएं बनाती हैं। 16 दिनों तक माता पार्वती के गीत गाए जाते हैं। इसके बाद किसी सरोवर, नदी, कुआं में गणगौर को विसर्जित किया जाता है।
अविवाहित लड़कियों के लिए है ये खास व्रत
गणगौर तीज के एक दिन यानी की द्वितीया तिथि को कुंवारी और नवविवाहित स्त्रियां अपने द्वारा पूजी गई गणगौरों को किसी नदी, तालाब, सरोवर में पानी पिलाती है और दूसरे दिन शाम के समय विसर्जित कर देते है। यह व्रत कुवंरी कन्या मनभावन पति के लिए और विवाहिता अपने पति से अपार प्रेम पाने और अखंड सौभाग्य के लिए करती है।
ईसर-गौर के रुप में पूजा जाता है इन्हें
इस दिन मां पार्वती की पूजा गणगौर माता के रुप में की जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा ईसरजी के रूप में की जाती है। अगर आप चाहती है कि आपको मनचाहा पति या फिर पति को लंबी आयु मिले। तो गणगौर तीज के दिन ये उपाय जरुर करें। इससे आपकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि: 19 मार्च को शाम 5 बजकर 53 से शुरु
तृतीया तिथि समाप्त: 20 मार्च शाम 4 बजकर 50 मिनट में।
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