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गणगौर तीज 30 को: इन दिनों में शिव जी आते है ससुराल, इस तरह करें शिव-पार्वती की पूजा

गणगौर पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इन्हें ईसर-गौर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है (ईश्वर-गौरी)। यह कुंवारी और नवविवाहित स्त्रियों का त्योहार है।

India TV Lifestyle Desk
Published : March 29, 2017 13:09 IST
gangaur festival- India TV Hindi
gangaur festival

धर्म डेस्क: गणगौर पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से माता पार्वती व भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इन्हें ईसर-गौर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है (ईश्वर-गौरी)। यह कुंवारी और नवविवाहित स्त्रियों का त्योहार है। इस बार यह पर्व 30 मार्च, गुरुवार को है।

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गणगौर तीज के एक दिन यानी की द्वितीया तिथि को कुंवारी और नवविवाहित स्त्रियां अपने द्वारा पूजी गई गणगौरों को किसी नदी, तालाब, सरोवर में पानी पिलाती है और दूसरे दिन शाम के समय विसर्जित कर देते है। यह व्रत कुवंरी कन्या मनभावन पति के लिए और विवाहिता अपने पति से अपार प्रेम पाने और अखंड सौभाग्य के लिए करती है।

इस दिन होती है मां पार्वती की पूजा

इस दिन मां पार्वती की पूजा गणगौर माता के रुप में की जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा ईशरजी के रूप में की जाती है।

इस कारण मनाया जाता है गणगौर तीज
प्राचीनकाल में मां पार्वती ने शिवजी को पति रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या, व्रत आदि किया जाता है। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर वर मांगने का कहा, तो मां पार्वती ने शिव जी से उन्हें वर के रुप में पाने की इच्छा बताई। जिसके बाद मां पार्वती की इच्छा पूरी हो गई। उसी समय से कुंवारी लड़कियां भी अपने इच्छानुसार वर पाने के लिए इस व्रत को करके मां पार्वती और शिव जी की पूजा-अर्चन करते है। इसके साथ ही विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती है

अगली स्लाइड में पढ़े पूजन विधि के बारें में

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