आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार मंत्रों का जाप हमेशा आसन पर विराजमान होकर ही किया जाता है। जानें गणेश चतुर्थी में गणपति का जाप करते समय कौन से आसन का चुनाव करना चाहिए।
इन आसनों पर ही बैठे
मंत्रमहोद्धि के अनुसार मूंज, कपड़े, कुश या चमड़े के आसन उत्तम माने गए हैं। इन आसनों पर बैठकर मंत्र जप को शुभ फलदायी माना गया है।
इन आसनों में बैठकर न करें जप
वहीं ध्यान रखें कि कभी भी लकड़ी, पत्ते, बांस या पत्थर के आसन पर बैठ मंत्रोच्चारण नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि बांस के आसन पर बैठकर साधना करने से दरिद्रता, पत्थर के आसन से रोग का आगमन, ज़मीन पर बैठकर साधना करने से दुखों की प्राप्ति, लकड़ी के आसन पर बैठकर साधना करने से दुर्भाग्य, तिनकों के आसन पर साधना करने से यश की हानि, पत्तों के आसन पर साधना करने से चित्त में भ्रम होने की संभावना रहती है। इसके विपरीत मृगचर्म यानि हिरण की खाल और व्याघ यानि बाघ के चर्म पर बैठकर साधना करने से लक्ष्मी की प्राप्ति, मूंज के आसन पर बैठकर मंत्र उच्चारण करने से साधना सफल, कुश के आसन पर की गई साधना सभी प्रकार से उत्तम मानी जाती है।
वहीं जपकाल के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान भी रखना ज़रूरी है। जैसे जब तक आप जप करें यानि अपने पूरे जप काल के दौरान मांसाहार का त्याग आपको कर
देना चाहिए।
Ganesha Chaturthi 2019: श्रीगणेश का जाप करते समय जरुर ध्यान रखें ये बातें
- अश्लील वार्ता आपको नहीं करनी चाहिए।
- अमागंलिक चीजों को छूना भी निषेध माना गया है।
- ध्यान रखें कि दिन के समय पूर्व की तरफ मुख करके व शाम के समय उत्तरामुख होकर जप करना चहिए।