गणेश जी को पहले पूजा जाने को लेकर दूसरी पौराणिक कथा भी शिवपुराण में बताई गई है इसके अनुसार एक बार समस्त देवता भगवान शंकर के पास यह समस्या लेकर पहुंचे कि किस देव को उनका मुखिया चुना जाए।
भगवान शिव ने यह प्रस्ताव रखा कि जो भी पहले पृथ्वी की तीन बार परिक्रमा करके कैलाश लौटेगा, वहीं अग्रपूजा के योग्य होगा और उसे ही देवताओं का स्वामी बनाया जाएगा। चूंकि गणेशजी का वाहन चूहा अत्यंत धीमी गति से चले वाला था, इसलिए अपनी बुद्धि-चातुर्य के कारण उन्होंने अपने पिता शिव और माता पार्वती की ही तीन परिक्रमा पूर्ण की और हाथ जोडकर खडे हो गए। शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमसे बढकर संसार में अन्य कोई इतना चतुर नहीं है।
माता-पिता की तीन परिक्रमा से तीनों लोकों की परिक्रमा का पुण्य तुम्हें मिल गया, जो पृथ्वी की परिक्रमा से भी बडा है। इसलिए जो मनुष्य किसी कार्य के शुभारंभ से पहले तुम्हारा पूजन करेगा, उसे कोई बाधा नहीं आएगी। बस, तभी से गणेशजी अग्रपूज्य हो गए।