गणेश चतुर्थी का पर्व 10 सितंबर को है। महाराष्ट्र समेत पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व श्रद्धा और धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है। घरों के साथ साथ इलाकों में गणपति के पंडाल लगते हैं जहां लाखों लोग गणपति पूजा में भाग लेते हैं।
दस दिनों तक चलने वाले इस गणपति महोत्सव में घर और इलाके में गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना की जाती है। कहते हैं कि गणपति बप्पा अपने भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर कामना अतिशीघ्र पूरी हो जाती है।
चलिए जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन गणपति स्थापना औऱ पूजा के दौरान क्या क्या बातें ध्यान रखनी चाहिए।
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दूर्वा
गणपति की पूजा दूर्वा के बिना अधूरी है।कहा जाता है कि गणपति की स्थापना और पूजा के दौरान उन्हें दूर्वा यानी घास अर्पित करनी चाहिए। किसी साफ स्थान से 21 गांठ दूर्वा लाकर उनका गुच्छा बनाएं और गणपति बप्पा को अर्पित करें।
मोदक
गणपति बप्पा को मोदक यानी लड्डू बहुत प्रिय हैं। इनके बिना उनकी पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए गणपति पूजा के दौरन उन्हें मोदक का भोग जरूर लगाएं।
मूषक
गणपति बप्पा की मूर्ति लाते समय ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति के साथ मूषक यानी उनका प्रिय चूहा जरूर हो। मूषक गणपति जी की प्रिय सवारी है औऱ इसे पूजा में जरूर रखना चाहिए।
दिशा का ध्यान
गणपति बप्पा को घर लाने से पहले ही सुनिश्चित कर लें उन्हें कहां विराजमान करना है। गणपति की स्थापना घर के उत्तर-पूर्व में होनी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने पर पूजा फलदायी होती है।
बप्पा की मूर्ति
गणपति बप्पा की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि आप अगर घर में स्थापना करना चाहते हैं तो बप्पा की बैठी हुई मूर्ति लें। अगर दुकान या व्यवसाय या इलाके के पंडाल के लिए मूर्ति खरीद रहे हैं तो मूर्ति खड़ी होनी चाहिए।
गणपति बप्पा की सूंड
गणपति बप्पा की मूर्ति खरीदते समय ध्यान दीजिए कि उनकी सूंड बायीं तरफ झुकी हुई हो। जहां पूजा हो रही है वहां गणपति महाराज की एक ही मूर्ति या प्रतिमा होनी चाहिए।
फूलों का चढ़ावा
गणपति बप्पा को लाल और सिंदूरी रंग पसंद है। इसलिए उन्हें अर्पित करने के लिए कनेर के फूल लाएं। आप गुड़हल के फूल भी लाकर उन्हें अर्पित कर सकते हैं।