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Ganesh Chaturthi 2021: इस बार करें गोबर के गणपति की स्थापना, घर में सदैव रहेगा मां लक्ष्मी का वास

गोबर से बने गणेश भगवान इको फ्रेंडली है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलाता है। मिट्टी में तत्काल मिल जाने से खाद का भी काम करता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : September 10, 2021 7:06 IST
गोबर के गणेश भगवान
Image Source : TWITTER/ANI गोबर के गणेश भगवान

हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। इसका महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब भगवान गणेश की मूर्ति इसी से बनाई जाती है। गणेश महोत्सव की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इस बार हर कोई चाहता है कि उनके घर इको-फेंडली गणपति विराजमान हो। जिससे गणपति का आर्शीवाद तो मिले ही इसके साथ ही पर्यावरण पर भी बुरा असर ना पड़े। ऐसे में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक मूर्तिकार अनोखे तरीके भगवान गणेश की मूर्ति बना रहे हैं। 

दरअसल, भोपाल की मूर्तिकार कांता यादव इस बार गाय के गोबर से भगवान गणेश की मूर्तियां बना रही हैं। जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली गणेश मूर्ति है। इस बारे में कांता यादव का कहना है एक मूर्ति बनाने में  8 दिन लगते हैं और इनका दाम काफी कम है। जब से सोशल मीडिया में वीडियो डाला है तब से दूसरे राज्यों से भी इन मूर्तियों का ऑर्डर आ रहा हैं। 

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आपको बता दें, गोबर से बनी सामग्री पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलाता है। मिट्टी में तत्काल मिल जाने से खाद का भी काम करता है।

गाय के गोबर से बनीं मूर्तियों है क्यों खास?

आमतौर पर मिट्टी और गोबर में पंचतत्वों का वास माना जाता है और गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए जब कोई काम शुभ काम होता है तो देवी-देवता के स्थान को गाय के गोबर से लीपा जाता है। इसलिए गोबर गणेश की मूर्ति लोगों के बीच काफी फेमस हो रही है। जिससे भगवान गणेश के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आर्शीवाद भी उन्हें प्राप्त होगा। 

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गोबर में मां लक्ष्मी का वास

मान्यता के अनुसार गाय के गोबर में मां लक्ष्मी का वास है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सभी देवी देवता गाय में वास करते थे। उस समय गंगा और पार्वती को आने में देरी हो गई थी। जिस कारण गौमूत्र और गोबर के अलावा उनके लिए कोई स्थान नहीं था। इसलिए गौमूत्र में गंगा और गोबर में मां लक्ष्मी का निवास हो गया।

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