भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और शनिवार के दिन गणेश चतुर्थी पड़ रही हैं । इसके साथ ही दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। ये उत्सव 22 अगस्त, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर 1 सितम्बर, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक मनाया जायेगा।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार श्री गणेश भगवान के इन 8 मंत्रों का जाप दस दिनों तक करें। इससे आप किसी भी क्षेत्र में सिद्धि लाभ कर सकते हैं।
पहला मंत्र
शक्तिविनायक गणपति का मंत्र है-
“ऊँ ह्रीं ग्रीं ह्रीं”- ये चार अक्षर का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख है। इस गणपति की साधना से खेल में, राजनीति में- पावर मिलती है।
दूसरा मंत्र
“वक्र तुण्डाय हुं।“- ये छः अक्षर का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 6 लाख जप है। इस गणपति की साधना से मुसीबतों से छुटकारा मिलता है।
तीसरा मंत्र
“मेधोल्काय स्वाहा” - ये भी छः अक्षर का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 6 लाख जप है। विद्या प्राप्ति के लिये इन गणपति की साधना करनी चाहिए।
चौथा मंत्र
“गं गणपतये नमः”, ये आठ अक्षर का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 8 लाख जप है। सफलता के लिये इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
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पांचवा मंत्र
उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र-
“हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा”- यह वाम मार्गिय गणपति साधना का मंत्र है। इसकी जप संख्या एक लाख है। 12 अक्षर का उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र ही बताया गया है। इससे प्यार, पैसा और शोहरत सब कुछ मिलता है।
मंत्रमहोद्धि में कहा है-
“ऊँ ह्रीं गं हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा”
छठा मंत्र
लक्ष्मीविनायक गणपति का मंत्र है-
“ऊँ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा”-
यह अट्ठाईस अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख जप है। इन गणपति की साधना से कभी लक्ष्मी की कमी नहीं रहती ।
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सातवां मंत्र
हरिद्रा गणेश मंत्र-
“ऊँ हुंगंग्लौं हरिद्रागणपतये वरवरद सर्वजनह्रदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा।“-
यह 32 अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख है। इस मंत्र का जप करने वाले बच्चों को खुशियां मिलती हैं। मनचाहा वर और मनचाही वधु मिलती है।
आठवा मंत्र
त्रैलोक्यमोहन गणेश मन्त्र-
“वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्ली ह्रीं श्रीं गं गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा”- यह 33 अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख है। इस मंत्र को सिद्ध करने वाला व्यक्ति अपने मोहक व्यक्तित्व से सारे संसार को अपने वश में कर लेता है।