भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और शनिवार के दिन गणेश चतुर्थी पड़ रही हैं । इसके साथ ही दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। ये उत्सव 22 अगस्त, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर 1 सितम्बर, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक मनाया जायेगा।
गणेश उत्सव के पहले दिन श्री गणेश जी की घर में स्थापना की जाती है और पूरे दस दिनों तक उनकी विधि-विधान से पूजा करके आखिरी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। कई लोग एक दिन, तीन दिन, पांच दिन या सात दिनों के लिये भी गणपति जी को घर पर लाते हैं और उसके बाद उनका विसर्जन करते हैं। श्री गणेश भगवान की कृपा से इन दस दिनों के दौरान आपकी मनचाही सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। गणपति जी आपकी हर समस्या का समाधान निकालने के लिये आपके साथ ही मौजूद होंगे।
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गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त को 11 बजकर 4 मिनट से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 22 अगस्त को शाम 7 बजकर 58 मिनट।
मध्यान्ह पूजन मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक
वर्जित चंद्रदर्शन का समय – रात 8 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 22 मिनट तक।
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पूजन सामग्री
गणेश स्थापना से पहले पूजा की पूरी सामग्री एक साथ रख लें। जिससे कि पूजा में विघ्न उत्पन्न न हो। पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गणेश जी प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बताशा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि एकत्र कर लें।
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ऐसे करें भगवान गणेश की स्थापना
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। गणपति का स्मरण करते हुए पूजा की पूरी तैयारी कर लें। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। एक कोरे कलश में जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधना चाहिए। इसके बाद सही दिशा में चौकी स्थापित करके उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। स्थापना से पहले गणपति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से स्नान कराकर चौकी में जयकारे लगाते हुए स्थापित करें। इसके साथ रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक-एक सुपारी भी रख दें।
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पूजा विधि
स्थापना के बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग,त इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाए। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करे। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
दिन में 3 बार लगाएं भोग
अगर आपने अपने घर पर गणपति की मूर्ति स्थापित की हैं तो उनका ख्याल बिल्कुल घर के सदस्य की तरह रखना होगा। इसलिए गणपति को दिन में 3 बार भोग लगाना अनिवार्य है। इसके साथ ही गणपति बप्पा को रोजाना मोदक का भोग जरूर लगाए। इसके अलावा आप चाहे तो मोतीचूर या बेसन के लड्डू से भी भोगल लगा सकते हैं।