Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat: इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 2 सितंबर यानी सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 9 दिनों तक इसकी पूजा अर्चना करते हैं। और 10वें दिन धूमधाम के साथ भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करते हैं। आपको बता दें कि इस बार गणेश विसर्जन की शुभ तारीख 12 सितंबर है। बता दें कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी और स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के वक्त की जाती है।
राहुकाल के ठीक बाद सुबह 09 बजकर 10 मिनट से लेकर 10 बजकर 45 मिनट तक गणपति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा दोपहर 02 बजे से रात 08 बजकर
06 मिनट तक का समय भी शुभ है आप इस टाइम ड्यूरेशन के दौरान कभी भी गणपति की स्थापना कर सकते हैं।
कब शुरू हो रही है गणेश चतुर्थी तिथि
गणेश चतुर्थी 02 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 9 बजकर 1 मिनट से शुरू होने जा रही है, जो 3 सितंबर सुबह: 6 बजकर 50 मिनट तक है।
गणेश चतुर्थी के इस खास अवसर पर हम आपको भगवान गणेश से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। 'गण' का अर्थ होता है विशेष समुदाय और 'ईश' का अर्थ होता है स्वामी। सभी शिवगणों और देवगणों के स्वामी होने के कारण सबको गणेश कहा जाता है।
पूरे देश में गणेश चतुर्थी की इस तरह हो रही है तैयारी
गणेश चतुर्थी को लेकर हर तरफ तैयारी शुरु हो गई है, गजानन की आकर्षक मूर्तियां गढ़ने के लिए हजारों कारीगर दिनरात लगे हुए हैं। 2 सितंबर शुरू होने जा रहा इस महापर्व की तैयारियों में सैंकड़ों शिल्पकार गणपति बप्पा की रंग-बिरंगी मूर्तियां तैयार करने में जुटे हैं। बता दें कि कई जगहों पर पीओपी से गणेश जी की सुंदर मूर्तियां बनाई जा रही हैं। तैयार मूर्तियों को प्रमुख चौराहों पर ग्राहकों के लिए साथ के साथ सजाया जा रहा है। एक फीट की गणेश मूर्ति 50 से 100 रुपये, 2 फीट की मूर्ति 400 से 500, 3 फीट की 1200 से 1500, 4 फीट की 1800 से दो हजार, 5 फीट की 4 हजार और 6 फीट की गणेश प्रतिमा 6 हजार रुपये तक की कीमत में मिल रही हैं।
सबसे पहले इस त्योहार की शुरुआत कहां से हुई:
बता दें कि गणेश चतुर्थी सबसे पहले महाराष्ट्र मनाई गई। बता दें कि यूं तो गणेशोत्सव पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन जैसा महाराष्ट् में मनाया जाता है वैसा भव्य नजारा कहीं और देखने को नहीं मिलता है। दरअसल महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की धूम ही होती है। इसे मनाने के पीछे आज़ादी की लड़ाई की एक कहानी जुड़ी हुई है। 1890 के दशक में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक अक्सर मुंबई की चौपाटी पर समुद्र के किनारे जाकर बैठते थे और सोचते थे कि कैसे लोगों को एकसाथ लाया जाए। वहीं उनके दिमाग में एक ख्याल आया है कि क्यों न गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक स्थल पर मनाया जाए और इसकी वजह से हर वर्ग के लोग इसमें शामिल हो सकेंगे।
ये भी पढ़ें: