धर्म डेस्क: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, गुरुवार का दिन और स्वाति नक्षत्र है। इस दिन से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत है। गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक दस दिनों के लिए मनाया जाता है, यानी ये उत्सव 13 सितम्बर, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर 23 सितम्बर, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक मनाया जायेगा।
गणेश उत्सव के पहले दिन, यानी आज के दिन श्री गणेश जी की घर में स्थापना की जाती है और पूरे दस दिनों तक उनकी विधि-विधान से पूजा करके आखिरी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। आचार्य इंदु फ्रकाश के अनुसार भले ही ये गणेश उत्सव दस दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन ये लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है कि वो गणपति जी को कितने दिनों के लिये अपने घर लाते हैं। कई लोग 1 दिन, तीन दिन, पांच दिन या सात दिनों के लिये भी गणपति जी को घर पर लाते हैं और उसके बाद उनका विसर्जन करते हैं।
ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक यह अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग करीब 120 वर्ष के बाद बनने जा रहा है। भाद्रपद मास की चतुर्थी पर इस प्रकार का संयोग करीब 120 वर्षों बाद बना है। उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि के देवता भगवान गणेश हैं, जो ऋद्घि सिद्धि प्रदान करते हैं। बृहस्पति जिन्हें ज्ञान का प्रदाता माना गया है। (इन 7 आदतों को ना अपनाएं, हो जाएंगी घन की लक्ष्मी दूर)
गणेश उत्सव में मिट्टी की प्रतिमा का बहुत ही महत्व है। ये एनवायरमेंट फ्रेंडली तो होती ही है, साथ ही मिट्टी की गणेश प्रतिमा घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाने में भी मददगार है। श्री गणेश भगवान की कृपा से इन दस दिनों के दौरान आपकी मनचाही सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। (6 सितंबर को शनि हो रहा है मार्गी, इन 7 राशियों के जीवन में आ सकता है भूचाल)
गणपति जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश स्थापना का शुभारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगा। उसके बाद दोपहर के 1 बजकर 34 मिनट तक गणपति की स्थापना कर सकते है।
पूजन सामग्री में क्या है जरूरी
गणेश जी के पूजन में कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी होता है। खासकर दूर्वा यानी दूब घास, जनेऊ, लाल चंदन, लाल सिंदूर, गेंदे का फूल, लाल गुड़हल का फूल, अर्क का फूल, केवड़े का इत्र चढ़ाने से गणपति महाराज जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही मोदक से भोग लगाना न भूले।