लक्ष्मीविनायक गणपति का मंत्र है-
"ऊं श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा"-
यह अट्ठाईस अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख जप है। इन गणपति की साधना से कभी लक्ष्मी की कमी नहीं रहती ।
हरिद्रा गणेश मंत्र-
ऊं हुंगंग्लौं हरिद्रागणपतये वरवरद सर्वजनह्रदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा।"-
यह 32 अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख है। इस मंत्र का जप करने वाले बच्चों को खुशियां मिलती हैं। मनचाहा वर और मनचाही वधु मिलती है।
त्रैलोक्यमोहन गणेश मन्त्र-
"वक्रतुण्डैकदंष्ट्राय क्ली ह्रीं श्रीं गं गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा"-
यह 33 अक्षरों का मंत्र है। इसका पुरस्चरण 4 लाख है। इस मंत्र को सिद्ध करने वाला व्यक्ति अपने मोहक व्यक्तित्व से सारे संसार को अपने वश में कर लेता है।