जिसका आदेश मानकर मैने पानी से दीपक जलाया जोकि जल उठा। तब से मां के चमत्कार से यह दीपक ज्यों का त्यों जल रहा है। इस दीपक में जालने वाले पानी को पास में स्थित कालीसिंध नदीं से लाया जाता है।
इस मंदिर का यह दीपक सिर्फ बरसात के मौसम में नहीं जलता क्योंकि कालीसिंध नहीं में जल का स्तर बढ़ जाने के कारण ये मंदिर पानी में डूब जाता है। जिसके कारण दीपक बंद हो जाता है। इसके बाद इस ज्योत को पुन: शारदीय नवरात्र के पहले दिन जला दी जाती है, जो कि अगली बारिश तक जलता रहता है।
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