Thursday, November 28, 2024
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आज से प्रारम्भ आस्था का महापर्व छठ पूजा, ऐसे करें चार दिवसीय पूजा

छठ पूजा 4 नवंबर से शुरू होकर कल यानी की 7 नवंबर तक है। इस दिन नदी के तट में पहुंचकर पुरुष और महिलाएं पूजा-पाठ करते है। साथ ही छठ माता की पूजा को आपके संतान के लिए भी कल्याणकारी होती है। जानिए इस पूजा विधि और महत्व के बारें में।

India TV Lifestyle Desk
Updated : November 04, 2016 13:14 IST

chhath pooja

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पहला दिन: नहाय खाय
पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। इसके बाद छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रत करने वाले के खाने के बाद ही खाना खाते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

 दूसरा दिन: खरना
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का व्रत करने के बाद शाम के समय खाना खाते है। जिसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है।

 तीसरा दिन: संध्याअर्घ्य (डूबते सूर्य की पूजा करना)
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

सभी छठ का व्रत रखने वाले एक तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।

अगली स्लाइड में जानें पूरी विधि के बारें में

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