धर्म डेस्क: छठ के पर्व में मुख्य रूप से सूर्य उपासना का विधान होता है। इस दिन प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्ध्य देकर पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस छठ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक होता है
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छठ पूजा के व्रत को जो भी रखता है। वह इन दिनों में जल भी नही ग्रहण करता है। इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस पूजा वैसे तो मुख्य रुप से सू्र्य देवता की पूजा की जाती है, लेकिन साथ ही सूर्य देव की बहन छठ देवी की भी पूजा की जाती है। जिसके कारण इस पूजा का नाम छठ पूजा पड़ा।
इस बार छठ पूजा 4 नवंबर से शुरू होकर कल यानी की 7 नवंबर तक है। इस दिन नदी के तट में पहुंचकर पुरुष और महिलाएं पूजा-पाठ करते है। साथ ही छठ माता की पूजा को आपके संतान के लिए भी कल्याणकारी होती है। जानिए इस पूजा विधि और महत्व के बारें में।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा भारत सहित देश-विदेश में रहने वाले लोग भी छठ पूजा को धूम-धाम से मनाते है। यह व्रत बहुत ही नियम और निष्ठा के साथ किया जाता है। अगर इस व्रत को निसंतान महिला रखें तो उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है।
साथ ही धन-धान्य की कभी भी घर में कमी नही होती है। इस पूजा में लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं , इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं।
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