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चाणक्य नीति: मनुष्य का सबसे बड़ा भय है ये चीज, लग जाए तो पूरा जीवन हो जाता है बर्बाद

हर व्यक्ति चाहता हैं कि इसके घर-परिवार में खुशहाल रहे। इसके लिए वह विभिन्न तरीके के प्रयत्न करता है। लेकिन एक सीधे और सच्चे व्यक्ति को एक बात का हमेशा डर रहता है। जानिए आचार्य चाणक्य से इस चीज के बारे में।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: May 07, 2021 11:20 IST
चाणक्य नीति: मनुष्य का सबसे बड़ा भय है ये चीज, लग जाए तो पूरा जीवन हो जाता है बर्बाद- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चाणक्य नीति: मनुष्य का सबसे बड़ा भय है ये चीज, लग जाए तो पूरा जीवन हो जाता है बर्बाद

आचार्य चाणक्य के बारें में कौन नहीं जानता है। एक ऐसे विद्वान जो अपनी बुद्धिमत्ता, क्षमता के बल पर भारतीय इतिहार की धारा ही बदल कर रख दी। आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के साथ-साथ चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी जानें जाते है। आचार्य चाणक्य ने हमारे जीवन संबंधी कई नीतियां बताई है। उन्होंने यह गहर चिंतन, जीवन का अनुभव, गहन अध्ययन से जो ज्ञान अर्जित किया। उसे अपनी नीतियों के तौर पर उतार दिया। 

हर व्यक्ति चाहता हैं कि इसके घर-परिवार में खुशहाल रहे। इसके लिए वह विभिन्न तरीके के प्रयत्न करता है। लेकिन एक सीधे और सच्चे व्यक्ति को एक बात का हमेशा डर रहता है। जानिए आचार्य चाणक्य से इस चीज के बारे में। 

अगर कोई व्यक्ति सच्चा है और अपने परिवार की खुशहाली के लिए विभिन्न  उपाय अपनाता हैं। इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखता है कि उसके और परिवार के जीवन में पर किसी भी प्रकार की समस्या न हो। लेकिन कई बार जीवन में ऐसी चीजें हो जाती है जो जीवन को बर्बाद कर देती है। इन्हीं में से एक है बदनामी।

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"सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।" आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि वह अपने जीवन पर आने वाले हर भय को अपने साहस और धैर्य से आसानी से पार कर लेते हैं, लेकिन बदनामी एक ऐसी चीज है जिससे पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। 

बदनामी एक ऐसी चीज है जिसके होने से व्यक्ति ना तो खुद से अपना चेहरा देख पाता है और ना ही समाज को दिखा पाता है। यह दिमाग में इस तरह से हावी हो जाता है कि हमारे अंदर हीन भावना जाग्रत हो जाती है। जो अंदर ही अंदर कचोटती रहती है कि ऐसे समाज और परिवार से दूर हो जाओ तो आपकी बदनामी उड़ा रहे हैं। इसी कारण वह खुद को दूसरों से अलग करके कैद कर लेता है। कई बार ऐसा जीवन एक ऐसे पड़ाव में आ खड़ा हो जाता है कि व्यक्ति आत्महत्या तक करने की सोचने लगता है।  

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आचार्य चाणक्य ने इसी हालात को लेकर कहा कि व्यक्ति किसी भी काम को सोच-सलमझकर करे। जिससे आने वाले समय पर किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े। 

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