श्री भर्तृहरि गुफा
गढ़कालिका के दक्षिण दिशा में भर्तृहरि गुफा स्थित है। यह विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भर्तृहरि की साधना-स्थली थी। जिसके कारण यह अधिक प्रसिद्ध है। राजा ने राज-पाट त्यागने के बाद संत नाथ पंथ की दीक्षा लेकर कई वर्षों तक यहां पर घनघोर योग-साधना की थी।
कहा जाता है कि भर्तृहरि की तपस्या से इंद्र डर गया था और उनकी तपस्या को भंग करने के लिए उसने एक शिला फेंकी जिसे भर्तृहरि ने अपना हाथ ऊपर करके वहीं रोक दिया था। जिसके कारण राजयोगी भर्तृहरि की धूनी के ऊपर की शिला पर हाथ के पंजे के निशान हैं।
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