श्री कालभैरव मंदिर
अष्ट भैरवों में प्रमुख श्री कालभैरव का यह मंदिर अत्यंत प्राचीन और चमत्कारिक है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है। जब पुजारी मुंह में मदिरा का पात्र लगाता है, तो सबके देखते ही देखते यह पात्र खाली हो जाता है।
स्कंद पुराण में इसी कालभैरव मंदिर का अवंतिका खंड में वर्णन मिलता है। इनके नाम से ही यह क्षेत्र भैरवगढ़ कहलाता है। राजा भद्रसेन ने इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। उसके बाद इस मंदिर को जीर्णोद्धार राजा जयसिंह ने कराया। यह मंदिर तांत्रिक साधना के लिए महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है।
अगली स्लाइड में पढ़े और धार्मिक स्थलों के बारें में