धर्म डेस्क: धर्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ शुरु होने के कुछ ही दिन बचे है। जहां पर दुनिया के कोने-कोने से साधु-संत आ रहे है। इस बार का महाकुंभ कुछ अलग होगा, क्योंकि इस बार कुंभ में कुछ नई चीजे देखने को मिलेगी।
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उज्जैन मंदिरों की नगरी है यहां पर आपको कई तीर्थ स्थल मिलेगे। पुराणों के अनुसार भारत की पवित्रतम सप्तपुरियों में अवन्तिका यानी की उज्जैन उनमें से एक है। यह शहर क्षिप्रा नहीं के किनारे बसा हुआ है। साथ ही यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। जो कि अपने न्याय के कारण पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है। हम आज आपको उज्जैन के धार्मिक स्थलों के बारें में बता रहे है। जानिए इन धार्मिक स्थलों के बारें में।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। यह भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है। इस मंदिर के बारें में शिवपुराण में बताया गया है इसके अनुसार नन्द से आठ पीढ़ी पूर्व एक गोप बालक द्वारा महाकाल की प्रतिष्ठा हुई । महाकाल शिवलिंग के रुप में पूजे जाते हैं। महाकाल की निष्काल या निराकार रुप में पूजा होती है। सकल अथवा साकार रुप में उनकी नगर में सवारी निकलती है।
उज्जैन के प्रथम और शाश्वत शासक भी महाराजाधिराज श्री महाकाल ही हैं, तभी तो उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है। दक्षिणमुखी होने से इनका विशेष तांत्रिक महत्व भी है। ये कालचक्र के प्रवर्तक हैं तथा भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले बाबा महाकालेश्वर के दर्शन मात्र से ही प्राणिमात्र की काल मृत्यु से रक्षा होती है, ऐसी शास्त्रों की मान्यता है।
कहा जाता है कि इस अतिप्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार राजा भोज के पुत्र उदयादित्य ने करवाया था। उसके पश्चात पुन: जीर्ण होने पर 1734 में तत्कालीन दीवान रामचन्द्रराव शेणवी ने इसका फिर से जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर के तल मंजिल पर महाकाल का विशाल लिंग स्थित है जिसकी जलाधारी का मुख पूर्व की ओर है। साथ ही पहली मंजिल पर ओंकारेश्वर तथा दूसरी मंजिल पर नागचन्द्रेश्वर की प्रतिमाएं स्थित हैं।
यह मंदिर भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर ताजी चिताभस्म से सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। उस समय पूरा वातावरण अत्यंत मनोहारी एवं शिवमय हो जाता है। श्रावण मास तथा महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर विशेष उत्सव होते हैं। श्
रावण मास के प्रत्येक सोमवार को महाराजाधिराज महाकालेश्वर की सवारी निकाली जाती है। देश के कोने-कोने से लोग महाकाल के दर्शन हेतु उज्जैन आते रहते हैं। महापर्वों एवं विशेष अवसरों पर भीड़ अधिक होती है। इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता यह है कि मुस्लिम समुदाय के बैंड-बाजे वाले भी श्री महाकाल की सवारी में अपना नि:शुल्क योगदान देते हैं।
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