आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार 10 फरवरी को हिंदी संवत का अंतिम महीना फाल्गुन मास का प्रारंभ हो रहा है | फाल्गुन मास को रंगों का महीना भी कहा जाता है | इस महीने ऋतुराज वसंत के आगमन से प्रकृति की सुंदरता को चार चांद लग जाते है | हिंदी संवत का आखिरी महीना फाल्गुन जाते-जाते सर्द ऋतु को ले जाता है और वसंत जैसे सुहावने मौसम के साथ हिंदी नव वर्ष की शुरुआत होती है | फाल्गुन महीना प्रकृति के नज़रिये से जितना महत्वपूर्ण है उतना ही इसका धार्मिक महत्व भी है | माह में भद्रा का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है | क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है |
जानें कब-कब फाल्गुन महीने में पड़ने वाले है भद्रा
- फाल्गुन माह के दौरान 11 फरवरी को शाम 4 बजकर 36 मिनट से लेकर देर रात 2 बजकर 53 मिनट तक |
- 14 फरवरी को शाम 6 बजकर 22 मिनट से लेकर अगली भोर 5 बजकर 26 मिनट तक |
- 17 फरवरी को देर रात 2 बजकर 25 मिनट से लेकर 18 फरवरी की दोपहर 2 बजकर 33 मिनट तक |
- 21 फरवरी की शाम 5 बजकर 22 मिनट से लेकर अगली सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक | 27 फरवरी की शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन की सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक |
- 2 मार्च की दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से देर रात 1 बजकर 22 तक |
- 5 मार्च की रात 12 बजकर 33 मिनट से अगले दिन दोपहर पहले 11 बजकर 47 तक |
- 8 मार्च की देर रात 3 बजकर 4 मिनट से लेकर अगले दिन की दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक |
पचंक कब है?
22 फरवरी की रात 12 बजकर 29 मिनट से 27 फरवरी की रात 1 बजकर 8 मिनट तक | पंचक के दौरान वुड वर्क अवॉयड करना चाहिए तथा पंचक के दौरान घर की छत डलवाना भी अच्छा नहीं माना जाता | इसके अलावा लकड़ी इकठ्ठा करना या चारपाई भी बनवाना अशुभ माना जाता है |
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