धर्म डेस्क: हिंदू पचांग के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकदाशी पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए उत्तम मानी जाती है। इसे इंदिरा एकादशी के नाम से भी जानते है। इस दिन शालिग्राम की पूजा करने का विधान है। इस बार एकादशी 16 सितंबर, शनिवार को है।
हिंदू शास्त्रों में माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से इंसान को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होगी। जानिए इसकी पूजा विधि और कथा के बारें में।
पूजा विधि
पद्म पुराण के अनुसार एकादशी व्रतों के नियमों का पालन दशमी तिथि से किया जाता है, जिसमें एक बार भोजन, ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। अगले दिन यानि एकादशी व्रत के दिन स्नानादि से पवित्र होकर व्रत संकल्प लेना चाहिए।
पितरों का आशीष लेने के लिए विधि-पूर्वक श्राद्ध कर ब्राह्मण को भोजन व दक्षिणा देना चाहिए। पितरों को दिया गया अन्न- पिंड गाय को खिलाना चाहिए। फिर धूप, फूल, मिठाई, फल आदि से भगवान विष्णु का पूजन करने का विधान है।
उसके बाद अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को सवेरा होने पर पुन: पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, परिवार के साथ मौन होकर भोजन करना चाहिए।
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