नई दिल्ली: ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे का विशेष महत्व है।माना जाता है कि इसी दिन ईसाइयों के आराध्य प्रभु यीशु ने मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। गुड फ्राइडे हर साल अप्रैल या मई महीने में मनाया जाता है।इस बार यह त्योहर 30 मार्च को मनाया जा रहा है।इस दिन ईसाई धर्म को मानने वाले चर्च जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं।
क्या है गुड फ्राइडे?
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है।ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार यीशु का कोई दोष नहीं था फिर भी उन्हें क्रॉस पर लटका कर मारने का दंड दिया गया।अपने हत्यारों की उपेक्षा करने के बजाए यीशु ने उनके लिए प्रार्थना करते हुए कहा था, 'हे ईश्वर!इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.' जिस दिन ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाया गया था उस दिन फ्राइडे यानी कि शुक्रवार था।तब से उस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है। क्रॉस पर लटकाए जाने के तीन दिन बाद यानी कि रविवार को ईसा मसीह फिर से जीवित हो उठे थे।इस दिन को ईस्टर संडे कहा जाता है।
ईसा मसीह को क्रॉस पर क्यों लटकाया गया?
ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे।उन्हें मृत्यु दंड इसलिए दिया गया था क्योंकि वो अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए लोगों को शिक्षित और जागरुक कर रहे थे।उस वक्त यहूदियों के कट्टरपंथी रब्बियों यानी कि धर्मगुरुओं ने यीशु का पुरजोर विरोध किया।कट्टरपंथियों ने उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस से यीशु की शिकायत कर दी।
रोमन हमेशा इस बात से डरते थे कि कहीं यहूदी क्रांति न कर दें।ऐसे में कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए पिलातुस ने यीशु को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया। मौत से पहले यीशु को ढेरों यातनाएं दी गईं।उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया।इसके बाद यीशु को गोल गोथा नाम की जगह ले जाकर सलीब पर चढ़ा दिया गया।प्राण त्यागने से पहले यीशु ने कहा था, 'हे ईश्वर! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपत हूं।