धर्म डेस्क: आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और शुक्रवार का दिन है। इस दिन पूरा दिन पार करके देर रात 03:24 तक सारे काम बनाने वाला रवियोग रहेगा। इसके साथ जीत का प्रतीक ‘विजयदशमी’ का त्योहार मनाया जायेगा। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। आज का पूरा दिन ही जीत को दर्शाता है। आज के दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है। इस बार दशहरा 19 अक्टूबर, शुक्रवार को है।
विजयदशमी साल की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। हेमाद्रि के व्रत भाग-1 और पृष्ठ- 970 से 973 तक, निर्णयसिन्धु के पृष्ठ- 69 से 70, पुरुषार्थ चिन्तामणि के पृष्ठ- 145 से 148, व्रतराज के पृष्ठ- 359 से 361, धर्मसिन्धु के पृष्ठ-96 आदि में विजयदशमी का विस्तृत वर्णन किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विजयदशमी के दिन अगर श्रवण नक्षत्र हो तो ये तिथि और भी शुभ हो जाती है। (Karva Chauth 2018: इस बार करवा चौथ पर सुहागिनें नहीं कर पाएंगी उद्यापन, आई ये वजह सामने )
दशहरा का महत्व
यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंनें लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिये भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिये रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयीहोने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के अलग अंदाज भी विकसित हुए हैं। कुल्लू का दशहरा देश भर में काफी प्रसिद्ध है तो पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में दुर्गा पूजा को भी इस दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। (Navratri 2018: नवरात्र में बोएं गए जौ देते है आपके भविष्य में आने वाले संकट और खुशहाली का संकेत, ऐसे जानें )
दशहरा का शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त- 13:58 से 14:43
अपराह्न पूजा समय- 13:13 से 15:28
दशमी तिथि आरंभ- 15:28 (18 अक्तूबर)
दशमी तिथि समाप्त- 17:57 (19 अक्तूबर)