गुरु-ब्राह्मणों का अपमान
गुरु-ब्राह्मण हमारे पिता के समान होते है। इने भगवान का दूसरा रुप कहा गया है। अगर आप इनका अपमान करेगे तो आपका नाश का कारण बन सकता है। ऋषियों और साधुओं के मार्गदर्शन से मनुष्य की हर कठिनाई आसान हो जाती है और वह किसी भी मुसीबत का सामना बहुत ही आसानी से कर लेता है।
धर्म कर्म को न कहे भला-बरा
कभी भी धर्म-कर्म क गलत नहीं बोलना चाहिए। इससे आने वाले समय में आपको किसी भयानक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिस तरह धर्म कर्म के प्रति अश्वत्थामा की बहुत बुरी सोच थी। जिसके कारण उसे दर-दर भटकने और मुक्ति न मिलने का शाप मिला था। इसलिए कभी भी ऐसा काम न करें।