आप चाहे तो इस दूसरें मंत्र का जाप कर सकती है।
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम् रूपं हि मण्डलमृचोथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।
या फिर इस मंत्र का जाप करे-
'उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।'
इन मंत्रो का जाप करनें से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी और घर में सुख-शांति आएगी।