ऐसे कराएं भोजन
श्राद्ध में निमित्त ब्राह्मण को एक दिन पहलें ही निमित्त का आमंत्रण देदें और बता दे कि आपको हमारें पितरों के रूप में भोजन करनें के लिए आमंत्रित किया गया है।
अगले दिन श्रृ्द्धापूर्वक ब्राह्मण को बुलाए और यह मन में विचार लाए कि आपके पितर है यह। इसके बाद उनके चरण को धोएं। इसके बाद आप दक्षिण की ओर मुख करके बैठें और दाहिने कंधे में यज्ञोपवीत रखकर पिता, पितामह के नाम,गोत्र का उच्चारम करते हुए ऊं एतलादोदक कमर्ध्य स्वधा मंत्र बोल कर ब्राह्मण के चरणो में पितृ तीर्थ से द्विगुण , भुग्न और फूल और जल प्रदान करें। इसके बाद ब्राह्मणों को आगर सहित बुलाकर उत्तर की और मुख करा कर इस मंत्र का तीन बार जाप करे।
ऊं देवताभ्या: पितृभ्य महायोभिथ्य एव च।
नम: स्वाध्यै स्वाहा नित्य मेवभवन्तु ते।।
इसके बाद मास पक्ष, पिता का नाम, पितामाह का नाम, तिथि, देश और गौत्र का उच्चारण करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराए और उन्हें अपनें इच्छानुसार दक्षिणा दें। इसके बाद गिरे हुए जूठन और कुश के पास के भोजन को उठाकर हाथ में मलें और ब्राह्मण के कहने अनुसार पिण्डदान या जलदान करें। इसके बाद अपने पूर्वजों से आर्शीवाद देने की प्रार्थना करें और ब्राह्मणों को आदर के साथ विदा करें।