धर्म डेस्क: शनिवार के दिन न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव की पूजा की जाती है। 'शनि शमयते पापम्', अर्थात् शनि हमारे पापों का शमन करता है। कर्मफल दाता शनिदेव सबके कर्मों का हिसाब रखते हैं। शनिदेव, जिनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं, जब प्रसन्न होते हैं तो ढेर सारी खुशियां देते हैं, लेकिन जब कोई गलत करता है, तो वह भी शनि देव की दृष्टि से नहीं बच पाता। शनि अपनी साढे-साती और ढैय्या से अच्छे अच्छों को हिला देता है।
शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है, यानी कुल बारह राशियों में से दसवीं और ग्यारहवीं राशि में शनि स्वगृही होता है। इसके कारक भाव 8 और 10 हैं। शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं और ये कृष्णवर्ण के हैं। पंचतत्वों में से शनिदेव का संबंध वायु तत्व से है। इसके अलावा शनि का संबध आयु, जीवन, शारीरिक बल, योग, प्रभुता, ऐश्वर्य, प्रसिद्धि, मोक्ष, ख्याति, नौकरी आदि से है, यानी जन्मपत्रिका में शनि की स्थिति से इन सब विषयों पर विचार किया जाता है।
मत्स्य पुराण के खंड 127 के 8 वें श्लोक के अनुसार शनिदेव का वाहन गिद्ध तथा रथ हैं। शनिदेव वरमुद्रा में रहते हैं। ये धनुष, बाण और त्रिशूल धारण किये रहते हैं। शनिदेव सूर्य भगवान के पुत्र हैं, लेकिन सूर्यदेव से इनका छत्तीस का आंकड़ा रहता है। इसलिए शनिवार के दिन इन उपायों को करना चाहिए। जिससे कि आपकी हर समस्या से निजात मिलें और आपकी हर इच्छा पूरी हो।
- शत्रु पर विजय पाने के लिये, कोर्ट-कचहरी में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए 11 शनिवार तक पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और 'ऊँ शनै शनिश्चरै नमः' मंत्र का 11 बार जाप करें। इससे आपकी सफलता सुनिश्चित होगी और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।
- धन की वृद्धि के लिए और समाज में अपना रूतबा कायम करने के लिए किसी जरूरतमंद को काला छाता या चमड़े के जूते भेंट करें। साथ ही बन्दरों को केले आदि डालते रहें। जल्दी ही आपको धन लाभ मिलेगा और समाज में सब आपको सम्मान की दृष्टि से देखेंगे।
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