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पितृदोष से पाना है छुटकारा, तो इस नक्षत्र में करें श्राद्ध

श्राद्ध पक्ष में नक्षत्र के हिसाब से पिंडदान, तर्पण करने से धन-धान्य की तो प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृदोष से भी निजात मिल सकता है। जानिए किस नक्षत्र में क्षाद्ध करने में कौन सा लाभ मिलेगा।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published : September 11, 2017 15:06 IST
pitru dosh
pitru dosh

धर्म डेस्क: पितृदोष को सबसे बड़ा दोष माना गया है। कुंडली का नौंवा घर धर्म का होता है। यह घर पिता का भी माना गया है। यदि इस घर में राहु, केतु और मंगल अपनी नीच राशि में बैठे हैं, तो यह इस बात का संकेत है कि आपको पितृदोष है। पितृदोष के कारण जातक को मानसिक पीड़ा, अशांति, धन की हानि, गृह-क्लेश जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

पिण्डदान और श्राद्ध नहीं करने वाले लोगों के संतान की कुंडली में भी पितृदोष का योग बनता है और अगले जन्म में वह भी पितृदोष से पीड़ित होता है। पितृदोष में पिण्डदान और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मुक्ति मिलने के साथ ही आपका भागयोदय भी होता है, साथ ही सुख, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।

जिनका देहांत शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध आज के दिन किया जायेगा। आज के दिन श्राद्ध करने वाला व्यक्ति सब जगह सम्मान पाने का हकदार होता

है। अगर श्राद्ध कुछ विशेष नक्षत्रों में किया जाये, तो उससे विशेष फल प्राप्त होते हैं पितृदोष से भी छुटकारा मिलता है।

वैसे तो भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक श्राद्ध कर्म किया जाता है। वहीं जिन्हें अपने पितरों की तिथि याद नहीं है, वे लोग पितृपक्ष की अमावस्या को श्राद्ध-कर्म कर सकते हैं, लेकिन गरूड़ पुराण के अनुसार यदि आप विधिवत तरीके और नक्षत्रों के अनुसार श्राद्ध-कर्म करते हैं, तो आपकी भी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। अगर आपको अपने पितरों की तिथि याद है, तो आप उस तिथि के साथ ही नक्षत्रों के हिसाब से भी अपने पितरों के नाम श्राद्ध कर सकते हैं। जानिए किस नक्षत्र में श्राद्ध करने से कौन से लाभ मिलेंगे।

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