धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी का दिन माना जाता है। जिन्हें धन की देवी माना जाता है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते है जिससे कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएं और सुख-शाति के साथ रह सके। धन की देवी को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है।
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अगर जन्म कुंडली में शुक्र अपनी दशा में अशुभ फल दे रहा है। शुक्र के प्रभाव से जानें कितनी बीमारियों का सामना करना पडता है जिससे कि आपको जीवन में सुख नाम की कोई चीज न रह जाती। जिसके लिए आप नए-नए उपाय करते है कि आपका ग्रह सही हो जाए। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हम क्या नहीं करते है। जिससे की माता हम पर प्रसन्न रहे।
अगर आप भी माता की कृपा पाना चाहते है। इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा विधि-विधान से करने के बाद लक्ष्मी स्तुति का पाठ जरुर करना चाहिए। जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
लक्ष्मी स्तुति इस प्रकार है-
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।
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