कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। भारतवर्ष में मनाए जाने वाले हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है और हर त्योहार की अपनी एक अलग पहचान होती है । दिवाली का ये त्योहार खुशियों का त्योहार है। शास्त्रों में दीवाली की रात को ‘सुखरात्रि’, ‘दीपालिका’, व्रतप्रकाश और ‘सुख सुप्तिका की संज्ञाएं भी दी गई हैं।
इस दिन माता लक्ष्मी और गणपति की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है, जिससे दोनों की कृपा परिवार के ऊपर हमेशा बनी रहे। लक्ष्मी गणेश की पूजा-अर्चना करने से पहले दिवाली की पूरी सामग्री जान लें ताकि पूजा करते वक्त किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
दिवाली पूजन की सामग्री की पूरी लिस्ट
दिवाली के दिन 3 थालियों में सभी सामान को रख सकते हैं। पहली थाली में ग्यारह घी के दीपक, दूसरी में फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर, कपूर, हल्दी-चूना का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती और एक दीपक और तीसरी थाली में खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुमकुम, सुपारी, पान आदि रखें।
पूजन सामग्री की लिस्ट
- लक्ष्मीजी का मूर्ति
- गणेशजी की मूर्ति
- सरस्वती की तस्वीर
- चांदी का सिक्का (विकल्प)
- लक्ष्मीजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र
- गणेशजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र
- सोलह श्रृंगार की वस्तुएं- मेहंदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी, बिंदी आदि
- जल से भरा हुआ कलश
- धूपबत्ती
- चंदन
- कपूर
- केसर
- यज्ञोपवीत
- चावल
- अबीर
- हल्दी
- सफेद कपड़ा (आधा मीटर)
- लाल कपड़ा (आधा मीटर)
- पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार)
- रोली, सिंदूर
- सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे
- खड़ा धनिया व दूर्वा आदि
- खील-बताशे
- अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र
- तुलसी दल
- सिंहासन (चौकी, आसन)
- धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा
- पंच मेवा
- गंगाजल
- शहद
- शक्कर
- शुद्ध घी
- दही
- दूध
- रुई
- ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि)
- नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि)
- इलायची (छोटी) लौंग
- मौली
- इत्र की शीशी
- पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
- औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि)
- दीपक
- बड़े दीपक के लिए तेल
- ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
- श्रीफल (नारियल)
- अनाज (चावल, गेहूं)
- लेखनी (कलम) और बही-खाता, स्याही की दवात
- पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल)
- एक नई थैली में हल्दी की गांठ