कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। हर त्योहार की अपनी एक अलग पहचान होती है । दिवाली का ये त्योहार खुशियों का त्योहार है। शास्त्रों में दीवाली की रात को 'सुखरात्रि', 'दीपालिका', 'व्रतप्रकाश' और 'सुख सुप्तिका' की संज्ञाएं भी दी गई हैं ।
दिवाली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। जैसे मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, उसी प्रकार कुबेर जी को धन का देवता कहा जाता है और जिस घर में ये दोनों निवास करते हैं। वहां पर धन की कभी कमी नहीं होती। शाम के समय मां लक्ष्मी, श्री गणेश की पूजा की सही विधि क्या है, लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त आदि के बारे में जानें आचार्य इंदु प्रकाश से।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि- देर रात 2 बजकर 44 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।
चित्रा नक्षत्र- 4 नवंबर सुबह 7 बजकर 42 मिनट तक चित्रा नक्षत्र रहेगा। उसके बाद स्वाती नक्षत्र लग जायेगा जो 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 7 मिनट तक रहेगा । प्रीति योग: सुबह 11 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।
आयुष्मान योग: 4 नवबर सुबह 11 बजकर 10 मिनट से 5 नवंबर सुबह 11 बजकर 7 मिनट तक
प्रदोष काल: शाम 5 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इस दौरान अमृत और चर की चौघडियां मिलेगी।
महानिशिथ काल: रात 12 बजकर 5 मिनट से लाभ की चौघडियां मिलेगी।
महानिशिथ काल: रात 11 बजकर 38 मिनट से रात 12 बजकर 30 तक
गृहस्थों के लिए शाम 6 बजकर नौ मिनट से रात 8 बजकर बीस मिनट तक का समय लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ कहा जा रहा है।
व्यापारिक संस्थानों के लिए : सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक चर की चौघडियां और दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक लाभ की चौघडियां में पूजन किया जा सकता है।
दिवाली में बन रहे हैं ये शुभ योग
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार तुला राशि में सूर्य मौजूद रहेगा, जो 17 अक्टूबर 2021 को दोपहर 1 बजे प्रवेश करेगा और 16 नवंबर 2021 को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। आपको बता दें सूर्य ग्रहों का राजा है। इसके कारण ये हर किसी के लिए शुभता लेकर आएगा।
तुला राशि में बुध ग्रह भी रहेगा। यह 2 नवंबर 2021 की सुबह 9 बजकर 53 मिनट पर तुला राशि में गोचर करेंगे। मार्गी अवस्था में गोचर करते हुए ये 21 नवंबर की सुबह 04 बजकर 48 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ज्योतिषों के अनुसार बुध ग्रहों के राजकुमार हैं, जिसके कारण धन लाभ और बिजनेस में बढ़ोतरी होगी।
तुला राशि में मंगल ग्रह भी प्रवेश कर रहा है। यह ग्रह तुला राशि में 22 अक्टूबर 2021 को सुबह 1 बजकर 13 मिनट बजे से 5 दिसंबर 2021 तक सुबह 5 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषों के अनुसार मंगल ग्रहों का सेनापति है।
तुला राशि में चंद्रमा भी प्रवेश कर रहा है। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। वहीं सूर्य को पिता और चंद्रमा को माता का कारक माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन विधि
लक्ष्मी पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके वहां पर लकड़ी का पाटा बिछाएं । कुछ लोग उस जगह की दिवार को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगते हैं। इसके लिये खड़िया या सफेद मिट्टी और गेरु का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पूजा स्थल की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। लकड़ी का पाटा बिछाने के बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर जी की स्थापना करें । ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए।
पूजा के लिये कुछ लोग सोने की मूर्ति रखते हैं, कुछ लोग चांदी की, तो कुछ लोग मिट्टी की मूर्ति या फिर तस्वीर से भी पूजा करते हैं । मूर्ति या तस्वीर के अलावा इस दिन कागज पर बने लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने की भी परंपरा है। इस प्रकार मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं, साथ ही पूजा के लिये कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें।
लक्ष्मी पूजा में फल-फूल और मिठाई के साथ ही पान, सुपारी, लौंग इलायची और कमलगट्टे का भी बहुत महत्व है । इसके अलावा धनतेरस के दिन आपने जो भी सामान खरीदा हो, उसे भी लक्ष्मी पूजा के समय पूजा स्थल पर जरूर रखें और उसकी पूजा करें।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के तमाम तरीके हैं। वेदों और महापुराणों में कई मंत्र उल्लेखित हैं लेकिन दीपावली में माता लक्ष्मी का आगमन अपने घर में या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में कराना होता है। इसका उल्लेख श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तम के प्रथम ही श्लोक में है।
ॐ हिरण्यवर्णान हरिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो म आ वहः।।
भोग पूजा करने के बाद आरती करें। इसके बाद मां का प्रसाद ग्रहण करके दिए भी जलाएं।
दिवाली पर करें माता लक्ष्मी की ये आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।