इनके नाक, कान और हाथ की उंगलियां छोटी होती हैं। इसकी गर्दन शंख के समान रहती है व इनके मुख पर सदा प्रसन्नता दिखाई देती है। पद्मिनी स्त्रियां प्रत्येक बड़े पुरुष को पिता के समान, अपनी उम्र के पुरुषों को भाई तथा छोटों को पुत्र के समान समझती हैं।
ऐसी स्त्रियां देवता, गंधर्व, मनुष्य सबका मन मोह लेने में सक्षम होती हैं। यह सौभाग्यवती, अल्प संतान वाली, पतिव्रताओं में श्रेष्ठ, योग्य संतान उत्पन्न करने वाली होती है। जिस घर में िनका विवाह होता है। उस घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
शंखिनी
शंखिनी स्वभाव की स्त्रियां दूसरी स्त्रियों से थोड़ी लंबी होती हैं। लेकिन इनमें से कुछ मोटी और कुछ दुर्बल होती हैं। इनकी आवाज गंभीर, आखें स्थिर नही होती, नाक मोटी होती है। यह कभी भी खुश नही होती है। यह हर समय गुस्सें में रहती है। ऐसी स्त्रियां स्वार्थी किस्म की होती है। यह सिर्फ अपने बारें में सोचती है।
अगर इनकी शादी हो गई है तो इन्हे परिवार के साथ रहना पसंद नही होता है। पति की बाते उसकी गुलामी की तरह लगती है। यह अपने ही भोग-विलास में डूबी रहती है। यह अधिक बोलती है जिसके कारण इनके सामने कोई बोलता नही है। इनकी आयु ज्यादा लबी नही होती है।
ऐसी स्त्री के कारण ही दोनों परिवार यानी की पिता और पति का परिवार खत्म हो जाता है। लेकिन अंत में इन्हे भी बहुत दुख मिलता है। यह सोचती है कि जल्दी मौत आए, लेकिन यह जल्दी मरती नही है।
हस्तिनी
इस तरह की स्त्रियों का हमेशा स्वभाव बदलता रहता है। लेकिन यह पंसमिख स्वभाव की होती है। इनका शरीर थोड़ा मोटा होता है। ऐसी स्त्रियां काम के प्रति आलसी होती है। इन्हें भोजन करना ज्यादा पसंद है। ऐसी स्त्रियां थोड़ी झगडालू किस्म की होती है। जिसके कारण घर में हमेशा क्लेश बना रहता है।
यह धार्मिक प्रवृत्ति की बिल्कुल भी नही होती है। शादी के 4, 8, 12 अथवा 16वे साल में इनके पति का भाग्योदय होता है। इनके कई गर्भ खंडित हो जाते हैं। इन्हें अपने जीवन में अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं, लेकिन इसका कारण भी ये स्वयं ही होती हैं। इनके दुष्ट स्वभाव के कारण ही परिवार में भी इनकी पूछ-परख नहीं होती।
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