वक्रतुंड
श्री गणेश का एक नाम है वक्रतुंड। वक्रतुंड का अवतार राक्षस मत्सरासुर के वध के लिए हुआ था। मत्सरासुर शिव भक्त था और उसने शिव की उपासना करके वरदान पा लिया था कि उसे किसी से भय नहीं रहेगा।
मत्सरासुर ने देवगुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से देवताओं को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। उसके दो पुत्र भी थे सुंदरप्रिय और विषयप्रिय। ये दोनों भी अपने पिता के समान ही अत्याचारी थे। इनके अत्याचार से परेशान होकर सारे देवता शिव की शरण में पहुंच गए। शिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे गणेश का आह्वान करें।
भगवान गणेश वक्रतुंड अवतार लेकर आएंगे। देवताओं ने आराधना की और गणपति ने वक्रतुंड अवतार लिया। वक्रतुंड भगवान ने मत्सरासुर के दोनों पुत्रों का संहार किया और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया। बाद में यही मत्सरासुर कालांतर में गणपति का भक्त हो गया।
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