गजानन
पुराणों के अनुसार एक बार कुबेर भगवान शिव-पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर गए। वहां पर माता पार्वती को देखकर उनके मन में काम का लोभ आया। जिसके कारण एक लोभ का जन्म हुआ। जिसका नाम लोभासुर पड़ा। लोभासुर ज्ञान प्राप्ति के लिए शुक्राचार के शरण में गया। तो उन्होनें भगवान शिव की उपासना करना शुरु कर दिया। जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उसे निर्भय का वरदान दिया।
जिसके कारण उसने पूरे देवताओं सहित शिव जी को भी परेशान किया जिसके कारण उन्हें कैलाश छोड़ कर जाना पड़ा। तब श्री गणेश जी ने गजानन का रूप घर लोभासुर को युद्ध के लिए पुकारा, लेकिन लोभासुर बिना युद्ध के ही भगवान की शरण में आ गया। तब से गणेश जी का एक और नाम गजानन पड़।
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