लंबोदर
जब भगवान विष्णु के कहने पर समुद्रमंथन शुरु हुआ । उसके हाद मंथन से निकले अमृत को बांटने के लिए भगवान विष्णु ने जब मोहिनी रूप धरा तो शिव उन पर काम मोहित हो गए। उनका शुक्र स्खलित हुआ, जिससे एक काले रंग के दैत्य की उत्पत्ति हुई। इस दैत्य का नाम क्रोधासुर पड़ा। क्रोधासुर ने सूर्य की उपासना करके उनसे ब्रह्मांड विजय का वरदान ले लिया। क्रोधासुर के इस वरदान के कारण सारे देवता डर गए।
क्रोधासुर देवताओं से युद्ध करने के लिए आ रहा था तो भगवान गणेश जी ने लंबोदर का अवतार लेकर उसे समझाया किउसे ये आभास दिलाया कि वो संसार में कभी अजेय योद्धा नहीं हो सकता। क्रोधासुर को यह बात समंझ आ गई और वह सब छोड़कर पाताल लोक में चला गया।
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