धर्म डेस्क: आज मोहिनी एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन से ही एकादशी की शुरुआत मानी जाती हाै। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने पर मोक्ष की भी प्राप्ति हो जाती है। साथ ही इस दिन दान करने हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। इस दिन निर्जला व्रत रहा जाता है।
जो लोग इस दिन व्रत नही रख पाते। वह लोग सात्विक का पालन करते है यानी कि इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा नहीं खाएं और झूठ, ठगी आदि का त्याग कर दें। साथ ही इस दिन चावल और इससे बनी कोई भी चीज नही खानी चाहिए।
माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। यह बात सुनकर आप अंधविश्वास या फिर पागल कहेंगे, लेकिन जब इसकी वजह जानेंगे तो खुद की चावल का सेवन करना छोड़ देगे। इस बारें में शास्त्रं में बताया गया है। इतना ही नहीं इसे न खाने का वैज्ञानिक कारण भी है। जानिए
शास्त्रों में एकादशी के बारें में इस श्लोक में कहा गया है-
न विवेकसमो बन्धुर्नैकादश्या: परं व्रतं
यानी कि विवेक के सामान कोई बंधु नहीं है और एकादशी से बढ़ कर कोई व्रत नहीं है। पांच ज्ञान इन्द्रियां, पांच कर्म इन्द्रियां और एक मन, इन ग्यारहों को जो साध ले, वह प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है।
चावल का है इन चीजों से संबंध
शास्त्रों में चावल का संबंध जल से किया गया हैं और जल का संबंध चंद्रमा से है। पांचों ज्ञान इन्द्रियां और पांचों कर्म इन्द्रियों पर मन का ही अधिकार है। मन और श्वेत रंग के स्वामी भी चंद्रमा ही हैं, जो स्वयं जल, रस और भावना के कारक हैं, इसीलिए जलतत्त्व राशि के जातक भावना प्रधान होते हैं, जो अक्सर धोखा खाते हैं।
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