कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवोत्थानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व है | इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है | आज देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है | इस दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है | कहते हैं कि जो कोई भी ये शुभ कार्य करता है, उनके घर में जल्द ही शादी की शहनाई बजती है और पारिवारिक जीवन सुख से बीतता है |
तुलसी और शालीग्राम के विवाह का आयोजन ठीक उसी प्रकार से किया जाता है, जैसे कि कन्या के विवाह में किया जाता है | अतः जिनके यहां कन्या नहीं है, वो आज के दिन तुलसी का विवाह कराके कन्यादान का पुण्य कमा सकते हैं | साथ ही जिन लोगों की कन्या के विवाह में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है, वो भी जल्द ही दूर हो जायेगी और कन्या के लिये एक सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी। इस प्रकार तुलसी विवाह सम्पन्न कराने के बाद तुलसी के पौधे और शालीग्राम को किसी सुपात्र ब्राह्मण को दान दे दिया जाता है। अगर आप भी तुलसी विवाह कराते है तो पहले ही जान लें कि किस-किस सामग्री की बेहद जरूरत होती है।
तुलसी विवाह की तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
द्वादशी तिथि आरंभ: 08 नवंबर 2019 की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
द्वादशी तिथि समाप्त: 09 नवंबर 2019 की दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक
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तुलसी विवाह की सामग्री
- फल
- फूल धूप
- दीप
- भोग
- हल्दी
- कुमकुम
- तिल
- हल्दी की गांठ
- बताशा
- दिये
- तुलसी जी
- विष्णु जी का चित्र
- शालिग्राम
- गणेश जी की प्रतिमा
- कोई सुंदर रूमाल
- श्रृंगार का सामान
- कपूर
- घी का दीपक
- आंवला
- चने की भाजी
- सिंघाड़ा
- हवन सामग्री
- मंडप बनाने के लिए गन्ना
- तुलसी विवाह के लिए लाल चुनरी
- व-वधु के दिए जाने वाले आवश्यक समान