गांव में नहीं होते है ये काम
बुजुर्ग भागीरथी यादव (64) की मानें तो इस गांव में पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपराओं को अब भी लोग बनाए हुए हैं, यहां पूरी तरह नशाबंदी है, मांस का सेवन नहीं करते, मुर्गी-मुर्गा पालन नहीं होता, अंडा का सेवन नहीं करते। वहीं धार्मिक भाव होने के कारण यहां के लोग न तो लड़ाई-झगड़ा करते हैं और न ही चोरी-चकारी से कोई उनका नाता है। यही कारण है कि गांव में न तो पुलिस आती है और न ही घरों में ताले लगते हैं। लगभग हर घर में एक गाय या दुधारू मवेशी है।
गाय की रक्षा की बजाय उस पर सियासत करने वालों के लिए यह गांव सीख देने वाला है कि गाय को अगर माता कहते हैं तो उसकी देखभाल करें, न कि उसके जरिए अपनी सियासी रोटी सेंकें। गौ मूत्र, गोबर और दूध से इंसान के जीवन खुशहाल बनाएं न कि विवाद को जन्म दें।