नई दिल्ली: कार्तिक पूर्णिमा को चांद पूरे अपने यौवन में होता है। 14 नंबर की रात को सुपरमून अन्य दिन से 30 फीसदी ज्यादा खूबसूरत दिखेगा। ऐसा 68 साल बाद होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि सोमवार को निकलने वाला पूर्ण चंद्रमा (सुपरमून) पिछले 69 सालों के बाद पृथ्वी के सबसे करीब होगा।
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नासा ने यह भी कहा है कि पृथ्वी के लोगों को इस तरह की घटना के दीदार के लिए साल 2034 तक इंतजार करना पड़ सकता है।
पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, जो दो वस्तुओं के बीच समयानुसार दूरी बनाता है। जब पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा तो यह सामान्य से अधिक बड़ा और चमकदार दिखाई देगा और इसीलिए हमने इसे सुपरमून की संज्ञा दी है।
नासा के अनुसार, यह सुपरमून सामान्य पूर्ण चंद्रमा से 14 से 30 प्रतिशत अधिक चमकदार हो सकता है। जिसके कारण आज रातभर चांड अपनी चांदनी से प्रथ्वी को रोशन करेगा।
ऐसे बनता है सुपरमून
सुपरमून तब बनता है, जब चांद पूर्णिमा के समय अपनी निकटतम स्थिति के 90 फीसदी अंदर या बाहर होता है। इस बार चांद अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए प्रथ्वी के बेहच करीब से निकलेगा।