नई दिल्ली: क्रिसमस ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल 25 दिसंबर को दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। साथ ही इसे 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक प्रभु यीशु के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
ये भी पढ़े- क्रिसमस ट्री घर में रख रहें है, तो ध्यान रखें ये बातें
प्रभु यीशु के जन्म की कथा
बाइबिल के अनुसार माना जाता है कि माता मरियम के गर्भ से ईसाई धर्म के ईश्वर ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसा मसीह के जन्म से पूर्व माता मरियम कुंवारी थी। उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ़ नामक व्यक्ति से हुई थी। एक दिन मरियम के पास स्वर्गदूत आए और उन्होंने कहा कि जल्द ही आपकी एक संतान होगी जो इस संसार को कष्टों से मुक्ति का रास्ता दिखाएगी।
माता मरियम ने संकोच के साथ कहा कि मैं अभी अविवाहित हूं, ऐसे में यह कैसे संभव है। देवदूतों ने कहा कि यह सब एक चमत्कार के माध्यम से होगा। जल्द ही माता मारियम और यूसुफ की शादी हुई। शादी के बाद दोनों यहूदिया प्रांत के बेथलेहेम नामक जगह रहने लगे। यहीं पर एक रात अस्तबल में ईसा मसीह का जन्म हुआ। ईसा मसीह के जन्मोत्सव को ही लोग आज भी क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
इस उत्सव में लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लाते है। चर्च को प्रभु यीशु की झलकियां के साथ सजाया जाता है। इस दिन ईसाई धर्म केलोगों के साथ कई धर्म के लोग चर्च में आकर प्रभु यीशु से प्रार्थना करते है। साथ ही एक- दूसरें को ईसा मसीह के जन्म की बधाई देते है। इश दिन चर्च में विशेष आराधना भी की जाती है। जिसे क्रिसमस सर्विस कहा जाता है।