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छिन्नमस्ता जयंती आज, हर कार्य सिद्ध करने के लिए करें देवी मां के इस मंत्र का जाप

आज दस महाविद्याओं में से एक देवी छिन्नमस्ता की जयंती भी मनायी जायेगी| माना जाता है कि आज ही के दिन मां छिन्नमस्ता का प्रादुर्भाव हुआ था |

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 06, 2020 10:29 IST
छिन्नमाता जयंती- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/TEMPLEFOLKSCOM छिन्नमाता जयंती

आज दस महाविद्याओं में से एक देवी छिन्नमस्ता की जयंती भी मनायी जायेगी| माना जाता है कि आज ही के दिन मां छिन्नमस्ता का प्रादुर्भाव हुआ था | सारे कार्य को सिद्ध करने वाली, दस महाविद्याओं में से एक मां छिन्नमस्ता को इनकी पूजा से व्यक्ति को तंत्र-मंत्र की सिद्धि भी प्राप्त होती है। मां छिन्नमस्ता दया और ममता की पराकाष्ठा हैं और इस बात का प्रमाण इसी से मिलता है कि उन्होंने अपनी दो सहचरियों की भूख मिटाने के लिये अपना सिर काट दिया था, जिसके बाद ही देवी मां को छिन्नमस्ता कहा गया है। 

छिन्नमस्ता का अर्थ होता है – कटा हुआ मस्तक। मां छिन्नमस्ता का विस्तार पूर्वक वर्णन मार्कंडेय पुराण और शिव पुराण में देखने को मिलता है। आज के दिन मां छिन्नमस्ता की विधि-पूर्वक पूजा करें और देवी मां का ध्यान करके मंत्र जप करें। मंत्र है –

‘ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा’

आज के दिन मां छिन्नमस्ता के इस मंत्र का करके आप अपने कार्यों को सिद्ध कर सकते हैं, अपार लक्ष्मी, जीवन में बेहतरी, अच्छा स्वास्थ्य और वाणी की सिद्धि भी पा सकते हैं। राहुकृत पीड़ा से मुक्ति पा सकते हैं, यहाँ आपको याद दिला दूँ कि मौजूदा कोरोना का संकट मिथुन राशि में राहुके गोचर के कारण ही है , अस्तु यह जाप कोरोना के संकट से भी मुक्ति दिलाने वाला है।

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छिन्नमाता दिला सकती है राहु से मुक्ति

 क्यों देवी छिन्नमस्ता आपको राहुकृत पीड़ा से मुक्ति दिल सकती हैं। दोनों के ही सिर कटे हुए हैं, लेकिन फरक ये है कि दोनों के सर कटने का कारण अलग अलग है। राहुचोरी से अमृत पी रहे थे इसलिए उनका सिर कटा और देवी छिन्नमस्ता ने अपनी सहचरियों की भूख मिटाने के लिए अपना सिर खुद काटा और उनकी भूख मिटाई। जमीन और आसमान का फरक है दोनों के उद्देश्यों में, दोनों का सर कटा हुआ है, उगता हुआ सूरज भी लाल रंग का होता है और डूबता हुआ सूरज भी लाल रंग का, लेकिन बड़ा फरक है दोनों में, डूबते हुए सूरज को कोई नही पूछता। और अगर सूरज डूबने के कारण अंधेरा हो जाए तो उस अंधेरे को फिर उगता सूरज ही खत्म कर सकता है। राहु के मिथुन राशि में गोचर के कारण कोरोना फैल रहा है, मानव जाति के आगे अंधेरा छा गया है, राहुअंधकार है तो देवी छिन्नमस्ता उसे विदीर्ण करने वाली सूर्य हैं। उनकी जयंती पर उनकी उपासना अमृत की तरह सेव्य है।

सोने में सुहागा ये ही कि आज रात 8 बजकर 38 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। किसी भी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करने, प्रभु का नाम जपने के लिए यह योग बहुत उत्तम है। इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा वह सिद्ध होगा अर्थात सफल होगा। साथ ही आज दोपहर 1 बजकर 51 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग भी रहेगा |

आज, यानी वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के साथ अगर स्वाति नक्षत्र,शनिवार का दिन, सिद्धि योग एवं वणिज करण हो तो कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। आज शनिवार तो नहीं है लेकिन वणिज करण आज शाम 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। अर्थात आज दोपहर 1 बजकर 51 मिनट के बाद से स्वाति नक्षत्र, जो राहुका अपना नक्षत्र और राहुकि पीड़ा से मुक्ति दिलाने में सहायक है आज रात 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा जबकि सिद्धि योग और शाम 7:45 तक वणिज करण रहेगा। लिहाजा आज दोपहर 1 बजकर 51 मिनट से शाम 7 बजकर 45 मिनट के बीच इस अति शुभ संयोग में कोई भी उपाय करने से आपको कई गुना पुण्य प्राप्त होगा। 

इतनी शुभ घड़ी, दिन, तिथि और मुहूर्त में आपको जगत के कल्याण के लिए देवी छिन्नमस्ता के मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए | मंत्र एक बार फिर से बता दूँ -मंत्र

महारणव के अनुसार मंत्र का स्वरूप यह है -

‘ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचिनीयै ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा’

इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए चार लाख जाप बताया गया है। आप आज से शुरू करके अगली शुक्ल चतुर्दशी तक चार लाख जप करने कि सोचें तो, और जाप का दशांश हवन
उसका दशांश तर्पण उसका दशांश मार्जन करना चाहिए। यानि चार लाख चालीस हजार चार सौ चालीस मंत्र संख्या को तीस दिनों में बराबर बाँट दें तो 1468133 मंत्र रोज पढ़ने होंगे, इसको माला के 108 मनको से डिवाइड करें तो 13594 यानि राउन्ड फिगर करें तो 136 माला रोज करनी पड़ेगी, एक माला में पाँच मिनट भी लगे तो लगभग सवा ग्यारह घंटे रोज लगेंगे।

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