धर्म डेस्क: छठ पूजा मुख्य त्योहारों में से एक माना जाती है। इस दिन सूर्य भगवान की उपासना का विधान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी में यह आयोजित की जाती है। इसे सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार लगभग एक सप्ताह चलता है।
शास्त्रों में मिले उल्लेख के अनुसार इस दिन पुण्यसलिला नदियों, तालाब या फिर किसी पोखर के किनारे पर पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसका आयोजन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी पर इसका समापन होता है। जो कि खाए नहाए पर्व के साथ शुरु होता है। जानिए 4 दिन का होने वाला ये त्यौहार किस दिन किस तरह मनाया जाता है।
छठ पूजा 24 अक्टूबर को नहाय खाए से शुरु हो रही है। इसके साथ ही 25 अक्टूबर को खरना, 26 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी और 27 नवंबर को सुबह का अर्घ्य देने के बाद अरुणोदय में सूर्य छठ व्रत का समापन किया जाएगा।
पहला दिन
खाए नहाए के दिन नहाने खाने की विधि होती है। इस दिन आसपास और खुद को साफ-सुथरा किया जाता है। इस दिन से तामसिक भोजन से दूर होकर शुद्ध शाकाहारी भोजन ही लेते है।
दूसरा दिन
खरना, जिसका मतलब होता है कि पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर व्रती शाम को गन्ने का जूस, गुड के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर बांटा जाता है।
तीसरा दिन
इस दिन भगवान सूर्य को अर्ध्य किया जाता है। जो कि छठ पूजा का तीसरा दिन होता है। इस दिन पूरे दिन उपवास रखकर व्रती शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देता है। साथ ही रात को छठी माता के गीत और कथाएं सुनाई जाती है।
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