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Chhath Puja 2017: आज शाम को इस समय करें अर्ध्य, ये है महत्व, पूजा विधि और कथा

धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस छठ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक होता है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा के बारें में..

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 26, 2017 12:14 IST
chhat pooja- India TV Hindi
chhat pooja

धर्म डेस्क: आज 4 दिनों के से चल रहे है छठ का आज शाम को भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। नहाए-खाए के साथ छठ पूजा व्रत की शुरुआत हो चुकी है। जो कि 27 अक्टूबर को भगवान सुर्य को अर्ध्य देने के साथ समाप्त होगा। छठ के पर्व में मुख्य रूप से सूर्य उपासना का विधान होता है। यह फेमस त्योहारों में से एक है। इस दिन प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्ध्य देकर पूजा की जाती है। यह साल में 2 बार मनाया जाता है। पहला चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में। जिन्हें क्रमश: चैती छठ औक कार्तिकी छठ के नाम से जाना जाता है। मुख्यरुप से ये त्योहार बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस छठ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक होता है। इस बार छठ पूजा 24 अक्टूबर,मंगलवार  से 27 अक्टूबर, गुरुवार तक है। 

छठ पूजा के व्रत को जो भी रखता है। वह इन दिनों में जल भी नही ग्रहण करता है। इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस पूजा वैसे तो मुख्य रुप से सू्र्य देवता की पूजा की जाती है, लेकिन साथ ही सूर्य देव की बहन छठ देवी की भी पूजा की जाती है। जिसके कारण इस पूजा का नाम छठ पूजा पड़ा।

इस दिन नदी के तट में पहुंचकर पुरुष और महिलाएं पूजा-पाठ करते है। साथ ही छठ माता की पूजा को आपके संतान के लिए भी कल्याणकारी होती है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और कथा के बारें में।  

शुभ मुहूर्त

सूर्यादय: 6 बजकर 41 मिनट
सूर्यास्त: 6 बजकर 5 मिनट

इस समय करें छठ पूजा
षष्ठी तिथि: 25 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 37 मिनट तक 26 अक्टूबर 2017 को शाम 12 बजकर 15 मिनट

छठ पूजा का महत्व
अगर इस व्रत को निसंतान महिला रखें तो उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही धन-धान्य की कभी भी घर में कमी नही होती है। इस पूजा में लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं, इसके लिए जल में खड़े होकर कमर तक पानी में डूबे लोग, दीप प्रज्ज्वलित किए नाना प्रसाद से पूरित सूप उगते और डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हैं और छठी मैया के गीत गाए जाते हैं।

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अगली स्लाइड में पढ़े पूजा विधि और कथा के बारें में

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