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Chandra Grahan 2018: यूं ही नहीं होता चंद्र ग्रहण, इसके पीछे के ज्योतिषी और वैज्ञानिक कारण जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

चंद्र ग्रहण का अपने आप में खास महत्व है। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। ये बात तो आप सब को पता ही होगा लेकिन इसके पीछे कई ज्योतिषी और वैज्ञानिक कारण होते हैं जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: January 31, 2018 9:57 IST
lunar eclipse - India TV Hindi
lunar eclipse

नई दिल्ली: चंद्र ग्रहण का अपने आप में खास महत्व है। चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। ये बात तो आप सब को पता ही होगा लेकिन इसके पीछे कई ज्योतिषी और वैज्ञानिक कारण होते हैं जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

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इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को होगा। पूर्णिमा होने की वजह से ये व्रत चौदस को किया जाएगा क्योंकि चंद्र ग्रहण के दिन भगवान की पूजा-पाठ नहीं की जाती है। अगर आप ध्यान दें तो पाएंगे कि चंद्र ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्र ग्रहण क्या होता है और क्यों इस दिन पूजा-पाठ करना अशुभ माना जाता है।

 बता दें वैज्ञानिकों के अनुसार ये एक खगौलिय घटना है. खगोलशास्त्र के अनुसार जब पृथ्वी चंद्र और सूर्य के बीच में आती है तो चंद्र ग्रहण होता है। जब ऐसी स्थिति होती है तब चांद पर पृथ्वी के आंशिक भाग से वह ढक जाता है तो चंद्रमा काला दिखाई पड़ता है. वैज्ञानिकों के अनुसार यही चंद्र ग्रहण का कारण है।

हिंदू धर्म के अनुसार चंद्र ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और शैतानों के साथ अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसे सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहनी का रूप धारण किया था। इस दौरान भगवान विष्णु ने अमृत पान करने के लिए असुरों और देवों को अलग अलग पंक्ति में बैठाया था। लेकिन छल से असुर देवताओं की पंक्ति में बैठ गए और अमृत पान करने लगे।

जैसे ही इस बात की जानकारी भगवान सूर्य और चंद्र को लगी तो उन्होंने तुरंत इस छल के बारे में विष्णु को बताया. क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक राहू अमृत पान चख चुका था जिसकी वजह से राहू की मृत्यु नहीं होती।

इसके बाद राहू का सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। तभी से राहू व केतू सूर्य व चंद्र को अपना शत्रु मानते है और पूर्णिमा के दिन ग्रस लेते हैं. इस कथा के अनुसार इस दिन चंद्र ग्रहण होता है।

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