भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और गुरुवार का दिन है। द्वितीया तिथि देर रात 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही गुरुवार को चंद्र दर्शन दिवस है। चंद्र दर्शन हिंदू मान्यताओं में धार्मिक महत्व रखता है। हर माह जब अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा दिखाई देता है उस दिन चंद्र दर्शन दिवस भारत के लगभग हर हिस्से में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान चंद्र की पूजा करने और व्रत रखने का विधान हैं। साथ ही बता दें कि सूर्यास्त के ठीक बाद के समय को चन्द्रमा को देखने के लिए या चंद्र दर्शन के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक़, इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और इसे बहुत भाग्यशाली और समृद्ध माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा ज्ञान, बुद्धि और मन का स्वामी ग्रह है। इसके अलावा इसके अलावा जिन जातकों की जन्मपत्री में चंद्रमा नीच का है। वो लोग यदि इस दिन चंद्र भगवान की पूजा-अर्चना कर उनके दर्शन करते हैं तो उनका ग्रह दोष शांत होता है। उन्हें कई प्रकार के मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और उनपर मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।
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ऐसे करें पूजा
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार इस दिन शाम के समय चंद्र देव का दशोपचार तरीके से पूजा-अर्चना करें यानि भगवान का आह्वाहन, आचमन, अर्घ्य, स्नान करकर और रोली और चावल से तिलक कर, फूल अर्पित करना।
दशोपचार तरीके से पूजा-अर्चना के बाद धूप दीप करके चंद्र भगवान को भोग के तौर पर खीर का प्रसाद अर्पित करें और इस मंत्र का जप करें।
मंत्र है-'ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात॥
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आज के दिन ऐसा करने से मन का सारा तनाव गायब हो जाता है और हर प्रकार के रोग आदि से मुक्ति मिलती है।.